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२. हाइकु कसरी लेख्ने ?
३. गेडी कसरी लेख्ने ?
४. गजल कसरी लेख्ने ?
५. छन्दमा कविता कसरी लेख्ने ?
६. तान्का कसरी लेख्ने ?
७. रुबाई कसरी लेख्ने ?
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१०. कविता कसरी लेख्ने ?
११. सिजो कसरी लेख्ने ?
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१७. उपन्यास कसरी लेख्ने ?
१८. नाटक कसरी लेख्ने ?
१९. एकाङ्की कसरी लेख्ने ?
२०. रेडियो स्क्रिप्ट कसरी लेख्ने?
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- अनूदित कथा : मानिस केले बाँच्ने गर्छ ?
- पुस्तक समीक्षा : 'चुली' भित्रको चुल्याइ
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- तामाङ लोककथा : बाँदर र डासिन डोल्मो
- समीक्षा : ‘नरेन्द्र दाइ’ उपन्यासका पात्र
Category Archives: मैथिली रचना
मैथिली कविता : हे नव साल
~सुधा मिश्र~ उत्साह सँग उमंग लक आयब खुशीक नव तरंग लक आयब उतिम पहिचान लक आयब ठोर पर मुस्कान लक आयब हे नव साल घावक मरहम बनिक आयब गीतक सरगम बनिक आयब धानक पथार बनिक आयब नेहक पसार बनिक आयब
मैथिली कविता : मोन मोर हरियाल अछि
~सुधा मिश्र~ बागबोन हरियर गाछ वृक्ष हरियर माटिक हरियरी सँ नभ भेल हरियर हरियर नुवामे मोन मोर हरियाल अछि हरियर पियर चुरीक खनक कमाल अछि पियाके रानी बनलौ नैहरक दुलारी लएला बेसाहिक पाजेब बड भारी
सुधा मिश्रक दस मैथिली हाइकु
~सुधा मिश्र~ 1 प्रेम दिवस विवाहक प्रस्ताव लाल गुलाब 2 शीतलहर सिरकँक अभाव वृद्ध बेहाल 3 अनुशासन गेल अछि हेराय दंगा मचल
सुधा मिश्रक चार मैथिली मुक्तक
~सुधा मिश्र~ हे नुतन वर्ष हे नूतन वर्ष नवीन उमंग लअबिहा जीवलेल जीवके नव तरंग लअबिहा जुरेबा तुहु जुरायल देखि धरती गगन कलशमे सजाक प्रह्लाद प्रसंग लअबिहा सभ मायके बेटा तु बनिहे हर्ष पसरि जाई ओहन काज तु करिहे
मैथिली कविता : कोना सुतल छी विधाता ?
~सुधा मिश्र~ नहि डुबैक ककरो भरोसा नहि टुटैक मोनक आशा देखबियौ किछु तँ हे दाता कोना सुतल छी विधाता ? ककरो खीर परोसल थार ककरो खायके नहि जोगार
मैथिली गीत : माँगिलेबै अहिबात गे
~सुधा मिश्र~ पावनि कय हम पियाके दुलारी सेनुर पिठारक थाप दक पुजबै वरक गाछ गे माँगि लेबै अहिबात गे वर गाछ तर विपहर पुजबै सउसे पात खोपामे खोसबै
मैथिली कविता : मासुमक कसुर कहिदिय हे विधाता
~सुधा मिश्र~ पिता जिनका कहल जाति छै अहिठाम साक्षात् भगवान तहन ओ अपने जन्माओल सँ एना किए छथि अंजान? बुझल नहि छनि जिनका कनियो ककरा कहैछै नाता? तखन ओहन मानुष किए बनैछथि किनको जन्म दाता? रहैत छथि अपन तृष्णा कुनो … Continue reading
मैथिली कथा : अनमोल दहेज
~अंजू झा~ कमलकांत बाबू विनम्र स्वभाव के अपन माटि-पानि सं जुड़ल उच्च सरकारी अधिकारी छैथ। परिवार में पत्नी शोभा आ एकमात्र संतान किसलय छथिन। किसलय एखन अविवाहित छथिन। चार्टर्ड अकाउंटेंट किसलय लेल दिन-राति विवाहक लेल अनेकों प्रस्ताव अबैत छैन। लेकिन … Continue reading
मैथिली कविता : जँ फगुवामे एथिन परदेशिया ?
~सुधा मिश्र~ वसन्त लय अँगना सजेबै मीठ -मीठ पुआ हम पकेबै लाल -हरियर रंग घोरिलेबै सब रंगक अबीर उडेबै
सुधा मिश्रका चार मैथिली मुक्तक
~सुधा मिश्र~ हमरो निंद कहाँ? जागल रहलौ अँहा तँ हमरो निंद कहाँ ? व्यक्त कलैछी अँहा हमरा शब्द कहाँ? बिन डोरेके कसल इ मजगुत गिरह बिनु अँहाके धडकने हमरो साँस कहाँ? स्वर्गक अनुभूति भेल अन्हरिया रातिमे चानक प्रवेश भेल
मैथिली गजल : हम सिनेहक लुती
~सुधा मिश्र~ हम बगियाके फुल गमैक हृदय अँहाक जाइय हम सिनेहक लुती सुलैग हृदय अँहाक जाइय कारी घनगर केश जखन बादल बनि वरैसय वादुर पपिहा गवैय भिजैत हृदय अँहाक जाइय
मैथिली गजल : नाक चुबैत पोटासन
~धीरेन्द्र प्रेमर्षि~ जिनगी अछि बड़ घिनाह नाक चुबैत पोटासन सुड़कि–सुड़कि तैयो छी ढोबि रहल मोटासन! पापक भुगताने लेल यदि लोक जनमैत अछि कसने छी तखन किएक साँसकेँ नङोटासन?
मैथिली गजल : आधार बनल अछि
~धीरेन्द्र प्रेमर्षि~ आजुक जीत ने जीत हारि आधार बनल अछि आजुक रीति कुरीति नीति आचार बनल अछि सम्बन्धक संन्यास अपरिचित परिचित अछिए बन्धन मुक्तिक गीत आइ साकार बनल अछि
मैथिली कविता : अपने भाषा आन
~दिनेश यादव~ बोली हम्मर विरान नहि छहि, तईयो पराय मानैत छहि, हम्मर म्याक भाषिका अपने छहि, मुदा मान्यता कहा दैत छहि, हौ बाबु, डका पइर गेलह, अपने भाषा आन बइन गेलह । भाषिक दियाद कहैत छहि ई मात्र हम्मर बोली, … Continue reading
मैथिली गजल : नहि कहु चान हमरा
~सुधा मिश्र~ नहि कहु चान हमरा दाग सँ कलंकित छै दिय नहि मान हमरा दान सँ कलंकित छै देख लिय मोन भरी जतेक देख सकी अँहा दिव्य रुपक काँया परान सँ कलंकित छै
मैथिली कविता : आजुक मिथिला-गान
~धीरेन्द्र प्रेमर्षि~ मानैत छी जे नहि अछि एक्खन, दुनियाकेर भूगोलमे तैयो छी हम बचाकऽ रखनहि जकरा माइक बोलमे सोहर, लगनी, जटाजटिन कि झिझिया, साँझ, परातीमे एकहकटा मिथिला जीबैए, एकहक मैथिल छातीमे लोहछल नस-नसमे एखनहु तिरहुतिया सोनित बरकैए
मैथिली गजल : दाग सँ कलंकित छै
~सुधा मिश्र~ नहि कहु चान हमरा दाग सँ कलंकित छै दिय नहि मान हमरा दान सँ कलंकित छै देख लिय मोन भरी जतेक देख सकी अँहा
मैथिली गजल : कहके आँट रखैत छी
~सुधा मिश्र~ भुलि नई सकैछी ने कहके आँट रखैत छी मोन ही मोन सही बहुत याद करैत छी व्याकुल होइछी जखन देखलाय सुरतके अँहाके डि.पी. के जुम कय कअ देखैत छी
विनीत ठाकुरका दश मैथिली हाइकु : ( मानवता विशेष )
~विनीत ठाकुर~ १. ज्ञान उपर अहंकारक पर्दा जीवन नष्ट । २. विशुद्ध प्रेम आदान–प्रदान सँ मोन मे शान्ति ।
मैथिली मुक्तक : डाक्टर भगवानक दोसर रुप
~सुधा मिश्र~ करोना डरे बन्द बाटघाट मल हल एहनमे अस्पताल अछि मात्र खुजल डाक्टर सचमे
मैथिली गजल : मस्त भेल छै
~धीरेन्द्र प्रेमर्षि~ राजनीति खुब मस्त भेल छै सोनित सभसँ सस्त भेल छै जन-जनके जी-जान उड़ाबऽ सेना-पुलिसक गश्त भेल छै
मैथिली समीक्षा : मैथिली कविताक जापानी विधा
~चन्दनकुमार झा~ वैज्ञानिक उपलब्धि, पश्चिमी विचारधाराक प्रवेश, प्राचीन परम्पराक प्रति विरक्ति, आ अन्यान्य भाषा-साहित्यक प्रभावसँ मैथिली साहित्यमे खासक’ कविताक्षेत्रमे आधुनिकताक सूत्रपात भेल । बंगलाक प्रभावसँ एकर कल्पनाशीलताक विकास भेलैक । अंगरेजी आदि भाषाक प्रभावसँ मैथिली कवितामे प्रयोगवादी परम्पराक विकास भेल … Continue reading
सुधा मिश्रका नौ मैथिली हाइकु
~सुधा मिश्र~ नव सालमे खाइ सतुवा गुड तँ शत्रु नाश जुरशीतल एक चुरुक पानि शुभ आशिष
मैथिली गीत : मानवता
~विनीत ठाकुर~ नहि भटकु धामे–धाम राखु मानवता पर ध्यान लागु दीन–दुखी के सेवा मे भेटत ओतहि भगवान भीतर सँ तोडि़ देलक मिथिला के दुःख आ गरीबी मन्दिर के बाहर दुःखिया बनल अछि परजीवी
मैथिली कविता : नव साल
~सुधा मिश्र~ सजाक कलश प्रवेशद्वार दक अरिपन लँ सिनुर पिठार बेली चमेली गुलाब लक लाल स्वागत अछि आउ हे नव साल सुख समृद्धि लक ढेर रचि उमंग उत्सवक बेर
मैथिली कविता : सिखायल लकडाउन
~सुधा मिश्र~ किया अतेक उदास अतेक बिचलित अछि इ घरी हमरा लेल त एहन क्षण एहन पल छल सर्वोपरि किछु दिनक लकडाउन किया लगैय मृत्युु समान जिनगीए छल लकडाउन कहाँ केलियै हम अपमान
विनीत ठाकुरका छ मैथिली हाइकु : ( कोरोना विशेष )
~विनीत ठाकुर~ १. धरती पर पसरल कोरोना खोजी दबाई । २. कोरोना रोग पसरय भिड़ मे रही एकात ।
मैथिली कविता : प्रमेक गंगा बहे अँगना
~सुधा मिश्र~ प्रमेक गंगा बहे अँगना शिर पर शोभे ताज गहना दिर्धायू स्वस्थ चिंरजिवी रही नव वर्षके अछि शुभकामना खन्कबैत हाथक कंगना गबैत मधुर वन्दना
मैथिली मुक्तक : नव साल
~सुधा मिश्र~ भौतिक दुरी बढाक समाजिक दुरी घटायल स्वर्ग होइत छै अपन गाम दिव्य पाठ पढायल लकडाउन सँ भरिरहल
मैथिली मुक्तक : हाथ नहि मिलाउ
~विनीत ठाकुर~ #कोरोना विशेष कनि दूरे रहु मीत हाथ नहि मिलाउ कुम्हरो निकलऽसँ पहिने मास्क लगाउ पसरल अछि सगरो
मैथिली कविता : तोडल मोनक आश
~सुधा मिश्र~ कहियो इच्छाक देल बलिदान कहियो आकांक्षाक देल बलिदान दैत चलि एलौ हम बलिदान जीवन बनल मृत समान अकर कद्दर कहियो कहाँ भेल ?
मैथिली मुक्तक : कोरोना
~सुधा मिश्र~ हे देवो के देव हे महादेव धर्ती पर फेर त्राहिमाम हे विषधारी हे निलकंठ कोरोनाके करियौ रोकथाम