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६. तान्का कसरी लेख्ने ?
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१५. कथा कसरी लेख्ने ?
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१७. उपन्यास कसरी लेख्ने ?
१८. नाटक कसरी लेख्ने ?
१९. एकाङ्की कसरी लेख्ने ?
२०. रेडियो स्क्रिप्ट कसरी लेख्ने?
21. पत्रसाहित्य कसरी लेख्ने?Follow साहित्य सङ्ग्रहालय
यो हफ्ता धेरै पढिएको
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- कविता : प्रलय वेदना
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- समीक्षा : ‘नरेन्द्र दाइ’ उपन्यासका पात्र
Category Archives: भाषा-भाषी साहित्य
मैथिली कविता : प्रमेक गंगा बहे अँगना
~सुधा मिश्र~ प्रमेक गंगा बहे अँगना शिर पर शोभे ताज गहना दिर्धायू स्वस्थ चिंरजिवी रही नव वर्षके अछि शुभकामना खन्कबैत हाथक कंगना गबैत मधुर वन्दना
नेवारी गीत : द्धाल्खा मे
~भानु श्रेष्ठ~ उ द्धाल्खा छिजि खेङ, उ बस्ती छिजि खेङ उ गाउ छिजि खेङ, उ देश छिजि खेङ भीमेश्वर न वियनतय, उ भाषा छिजिखेङ कुमारी व ट्वाकल प्याखन छिजि सम्पती खेङ
लिम्बू भाषी गजल : लोक्मा आधाबिधालिक्
~दिल पाक्सावा~ पिचाक् पिचाक् पिम्मा लोक्मा आधाबिधालिक् मक्थाआङ् चामाइ माहाङ् सोक्मा आधाबिधालिक् चुक्पा चुक्पा ता?जेङ्अ हेप्मार लोक्माआङ् मेल्लुङ् मेन्ने आखी तोक्मा आधाबिधालिक्
मैथिली मुक्तक : नव साल
~सुधा मिश्र~ भौतिक दुरी बढाक समाजिक दुरी घटायल स्वर्ग होइत छै अपन गाम दिव्य पाठ पढायल लकडाउन सँ भरिरहल
मैथिली मुक्तक : हाथ नहि मिलाउ
~विनीत ठाकुर~ #कोरोना विशेष कनि दूरे रहु मीत हाथ नहि मिलाउ कुम्हरो निकलऽसँ पहिने मास्क लगाउ पसरल अछि सगरो
मैथिली कविता : तोडल मोनक आश
~सुधा मिश्र~ कहियो इच्छाक देल बलिदान कहियो आकांक्षाक देल बलिदान दैत चलि एलौ हम बलिदान जीवन बनल मृत समान अकर कद्दर कहियो कहाँ भेल ?
मैथिली मुक्तक : कोरोना
~सुधा मिश्र~ हे देवो के देव हे महादेव धर्ती पर फेर त्राहिमाम हे विषधारी हे निलकंठ कोरोनाके करियौ रोकथाम
थामी भाषी कविता : होसीजासी थाको
~अनुपम ‘नवोदित’~ ए ! देशेमीपाली आट्ठे आरीको फान्दु कुता होइ माचिइनिस्दु आट्ठे असबापको कोरोना भाइरस राहान का भाइरसए सारा देशेमीपालीकाई लोङ्से दुङ-दुङ्ङा
मैथिली कविता : प्रीत वर्षारहल गगन
~सुधा मिश्र~ नहि करु अँहा अतेक गुमान तौलु नहि धन सँ अपन इमान खेत पथार भरल बखारी सँजोगि करब कि महल अटारी? जुडाउ किछु कनि अपनो जियाके मुनिक नयन दुनु सुनु हियाके
मैथिली गजल : सएह जनु अदालत छै
~धीरेन्द्र प्रेमर्षि~ चण्ठ-अदा लत करै, सएह जनु अदालत छै लण्ठ मोहब्बत करै, सएह जनु अदालत छै गीताकेर गञ्जनलए सप्पतटा खुआ-खुआ झूठकेँ जे सत करै, सएह जनु अदालत छै
तामाङ भाषी लघुकथा : दु:ख
~भिम दोंग तामाङ~ आले सिका ङ्हि भाउले । ग्यालाम ला कुनिसे खाबा ल्हेङ्मोसे ङाला गोङ्मा ल्हेआखम्जी । म्राङ्जी नाइपाला खेप्पा ह्रीबा म्हि ग्याम कुनिरी । ङ्योइजी ङै “धिम खालाङरि आखेला ?”
मैथिली कविता : व्यवहार
~विनीत ठाकुर~ ऐना केँ की मोल आन्हरकेँ शहरमे । भेल उन्टा मुँह सुन्टा अपने नजैरमे ।। ज्ञानक सूरमा लगाकऽ जे बजबैए गाल । व्यवहारमे देखल ओकरो उहे ताल ।।
बान्तावा राई भाषी कविता : हतुवागढि
~पदम राई~ आखोमाङ, सुनाहाङ, कर्महाङ, अट्टलसिं आन्सुन्तुम्चि हाङकाचि ममुवाङा हतुवागढिदा आन्केन हाङकाचि मुन्येन इदेङ, किरावा यवा ममासा खाइसा । आय, किरावाचिओ ह
माेतीराम चाैधरी `रत्न´का पाँच थारूभाषी छेस्काहरू
~माेती राम चाैधरी `रत्न´~ १. सुफ्लैना बानी मजा, गरियना सु-ढर्ना हाे । मैयाँम नै हाे सजा, यसिन साेच कु-ढर्ना हाे । मैयँम ना चोरी लगैठा, ना टे कबु बाेरी भर्ठा, मैयाँ मोहसे राजा, चामचिम हाेके नु-ढर्ना हाे । २. बाटके … Continue reading
अनूदित थारू भाषी कथा : चरित्र
~डा. टीकाराम पोखरेल~ अनुवाद : माेती राम चाैधरी `रत्न´ ‘तै छिनारी बटे ।’ विराज जोरसे बाेलल । ‘का ? का िछनार काम करनु मै ?’ ढिरेसे पुछ्ली सानु ।‘और मुहेमुहे लागटे?’ विराज आपन आवाज बर्हाइल। ‘ढेर बोल्ले नै हु, पुछटु … Continue reading
नेवारी समीक्षा : नेवाः समाजय् पुन्हि व गुरु पुन्हि
~गंगालाल श्रेष्ठ~ प्रँचीन इतिहासयात दुवाला स्वयेबलय् गन देशया साम्राज्य अर्थात शासन क्वातुइ अनया जनतातय्गु जीवनय् विदेशी संस्कृति, धर्म व भेष–भूषाय् प्रभाव लाइमखु वा लाकेथाकु । जब शासन छ्वासुया वन धाःसा थजाःगु ईयात ध्यान बियाः धर्म प्रचार, व्यापारी माध्यम व राजनीतिक … Continue reading
थारु भाषी निबन्ध : बरा पत्रकार हुइलक
~कृष्णराज सर्वहारी~ २०३२ सालमे त्रिचन्द्र कलेजमे पढेबेर विद्यार्थी आन्दोलनमें जेलजीवनके पहिला भोगाई ढकाल ऊ लेखमें लिख्ले बटाँ । संकटकाल लग्लकवाद बहुत धेर मनैं हिरासतमे अनुभव अपन मनके सन्दुरखमे कैद कैले हुइहीं । मै फेन कौनो दिन हिरासतमे एक रात मामनघर … Continue reading
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माेतीराम चाैधरी `रत्न´का पाँच थारूभाषी हाइकु
~माेती राम चाैधरी `रत्न´~ १ नङगा हुइटा डिन-डिने बस्टी जवान विना । २ भाेहर लागठ आजकाल महि हमार गाउँ-बस्टी ।
थारू भाषी गजल : मुस्कान गजल जैसिन
~मेन्जावीर चौधरी~ तुहार मुस्कान गजल जैसिन तुहार मुहार कमल जैसिन तुहार नरम-नरम ऊ ओठ लागत नसासे भरल जैसिन
नेवारी समीक्षा : वाद्य संस्कृतिइ मध्यपुर थिमि
~सुभाषराम~ स्वनिगः – ये“, यल व ख्वपया दथुइ लाःगु मध्यपुर थिमि भेग नेवाः संस्कृतिया स्वपुकुनं छगू महत्वपूर्ण थाय् खः । थन मध्यपुर थिमि धकाः पूर्वय् हनुमन्ते खुसि, दुवाकोत गा.वि.स.या वडा ल्याः ७ व ८ , दक्षिणय् हनुमन्ते खुसि सिमाना, पश्चिम … Continue reading
थारू भाषी गजल : तब तुफान आई
~मेन्जावीर चौधरी~ जब यी कलम चली तब तुफान आई जब यी गजल बनी तब मुस्कान आई आऊ तुहाथमेहाथ काँढमेकाँढ मिलाऊ तब जाके हमार एकताके सान आई
विनीत ठाकुरका चार मैथिली हाइकु
~विनीत ठाकुर~ १. वर्षाक बुन्द धरतीक गर्भ सँ उगल पौध । २. धानक फूल बसमतिया आरि खुश किसान ।
भोजपुरी गजल : इ नेपाल हऽ
~दिपेन्द्र सहनी~ इ नेपाल हऽ इहाँ कागज मे बिकास होला। गाछ बृक्ष काट के जंगल के विनाश होला। पइसा के आगे तऽ चौकीदार भी आन्हर, चौकी के सामने से माल वाइपास होला।
थारू भाषी गजल : भुवा बनगील
~मेन्जावीर चौधरी~ धिरेधिरे आगी बरल भुवा बनगील । टिपटिप आँश झरल कुवाँ बनगील ॥ जनचेतना से बञ्चित मोर प्यारा गाऊँ झनझन जाँड पिके मदुवा बनगील ।
विनीत ठाकुरका चार मैथिली हाइकु
~विनीत ठाकुर~ १. नभ मे उर्जा सुरुजक लाली सँ धरती स्वर्ग ।। २. वर्षाक बाद इन्द्रधनुषी रुप धन्य प्रकृति ।
विनीत ठाकुरका चार मैथिली हाइकु
~विनीत ठाकुर~ १) वन–जंगल प्रकृतिक श्रृंगार विनाश रोकी । २) पाकल लीची घेरल छै जाल सँ कौवा के घोल ।
विनीत ठाकुरका चार मैथिली हाइकु
~विनीत ठाकुर~ १) सगरमाथा सर्वोच्च हिमालय धन्य नेपाल । २) साँपक अण्डा निकलय मुँह सँ सामना करी ।
नेवारी समीक्षा : नेपाल भाषाया काव्य
~सुभाषराम~ नेपालभाषा काब्ययात तःहाकःगु इतिहास दुगु ख“ अनुसन्धानं प्रमाणित जुइ धुंकूगु दु । नेपालभाषाया पुलांगु काव्य फुक्क धैथें म्येया रुपय् दु । उकिं पुलांगु काव्ययात पुलांगु म्ये नं धयातःगु दु ÷ धायेगु याः । अनुवाद, टीका ग्रन्थ, तान्त्रिक व धार्मिक … Continue reading
मैथिली कविता : उदासी
~ब्रज मोहन झा “सोनी”~ डेग डेग पऽ गाम सहरमे सगरो नोर भोकासी अछी, नोर बहा लोक सुती रहल तँय हमरो छायल उदासी अछी । ओइ दिन ओकरा घर चोर गेलै,
मैथिली कविता : हम
~ब्रज मोहन झा “सोनी”~ हम पत्रकार छि, कुडा के ढेर पऽ पडल, बिन तारऽक सितार छि । हम कथाकार आ गित गजलकार छि आगुमे डा. होइतो अर्थऽक बिमार छि
वाम्बुले राई भाषी कविता : काक्सी
~अप्सन क्याम्पा~ (उतित नुम्बोम आदिवासी जनजाति किराँती)२ ईक याेर,ईक रितुम रान्चो बा:म साँस्कृति आम जिमी, भुमि ज्याच्चो,तित्चो उतिचोस तिकिम रितुम बाया क्वाचो,प्वाचो,ज्वाक्चोया उतिचोस बाकिम
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मगर भाषी कविता : गिजान बारियाङ म्हे लग्डीसा !
~गणेश ठाडा~ गिजान बारियाङ म्हे लग्डिसा ढेम्लाक , म्हाक्लाक, वार्लाक, पार्लाक ……………. जोम्छै … जोम्छै । बारीयो छेऊलाक सरिस्नन ले ! वारियो डिलाङ ग्वाजौ मिम लेया,