Category Archives: भाषा-भाषी साहित्य

धिमाल भाषी कविता : जामालाई बेलाउ

~अष्टनारयण धिमाल~ का फोम पाखा आतुङलाऊ कासेहेङ बोन्हाको दोइसोता जिम्पाका एला खाङखा काङको आते तु हाजारको कोक्रो चोल्ही जामाल दोईली का फोम पाखा झोराको दामादामा तेतेङ पढिली हानिका एला खाङखा देराको जामालहेङ पढिली याउका गारि नानि लोका ।

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धिमाल भाषी कविता : नाल्पातेङ हानाइने

~डा.सोमबहादुर चातेला~ लेःलि दोकालाइ लेःकाताङ नाल्पाइने ताइ धरमकरम पहिचान नाल्पाइने । मास्टरगेलाइ देरातोम्पा ल्होपाइने चेताना, पहिचान, इतिहास नाल्पाइने लेख्याइने, ओल्हेपाइने, देरा तोल्ह्याइने ।

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मैथिली गजल : नाक चुबैत पोटासन

~धीरेन्द्र प्रेमर्षि~ जिनगी अछि बड़ घिनाह नाक चुबैत पोटासन सुड़कि–सुड़कि तैयो छी ढोबि रहल मोटासन! पापक भुगताने लेल यदि लोक जनमैत अछि कसने छी तखन किएक साँसकेँ नङोटासन?

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धिमाल भाषी कविता : धार्मिक रिति

~डम्बर धिमाल ‘प्रकृति’~ का ताइको धार्मिक साँस्कृतिक रेम्फा खोदाइतेङ भोवलि गोइका हि ताइको थातथलो भारी … अक्सर पातेङ पुर्खा पिताइकालाइं पुराना आजुआजाइं द्द्याङगेलाइं दोसा ताइको मातृभासा धार्मिक साँस्कृतिविद धामि ओझा देरा माझि रो देउन्या

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धिमाल भाषी कविता : फाेम लाेहि

~मेगराज धिमाल~ चातेङ ताका खुइ नानि दोमि जिङहि । ताइको जिङका ड्याङ दोङ नानि दोमि जिङ्हि । मनता चाका द्य़ाङ नानि दुरे जिङ्हि । केङ लातेङ दोमि दोसा हान्दे हि ।

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मैथिली गजल : आधार बनल अछि

~धीरेन्द्र प्रेमर्षि~ आजुक जीत ने जीत हारि आधार बनल अछि आजुक रीति कुरीति नीति आचार बनल अछि सम्बन्धक संन्यास अपरिचित परिचित अछिए बन्धन मुक्तिक गीत आइ साकार बनल अछि

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धिमाल भाषी कविता : हेलाउबुङ मानिल

~सन्ताेष धिमाल~ नानि ईतिहास निल्ना भाेनाेइ हेङ मानिल ताइकाे पहिचान र सँस्कृति हेलाउ बुङ मानिल । सानाइति निल्ना आबा, आमाइ हेङ मानिल ताइ देरा समाज

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धिमाल भाषी कविता : किताप फुल्टिङ चासु

~डा.सोमबहादुर चातेला~ हेथे हिस्वाना सा लिता खिनिङ माओल्हेस्वाना बाहार बुझिलि ? साझिनिको आबा बिदेस हानेहि टाका काउरि कामाइहि दोहि । बोसिको बाइ पोर्हेलि काठमान्डु लोहि

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धिमाल भाषी कविता : : आधिकारको भासिङ राजनिति

~डा.सोमबहादुर चातेला~ जाइ हाले चोइखे, वाङ उम चालि लालाइखे जाइ काम पाखे, वाङ हाइदोङ मानिङखे जाइ देस बानाइखे, वाङ राज्यता न्हुखे जाइ दुख पाखे, वाङ बासार किपाङ गरिब जेङखे । ।।१।। जिदोङ द्याङ भोट पितेङ जितिपाखे वाङ न्हुखे

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मैथिली कविता : अपने भाषा आन

~दिनेश यादव~ बोली हम्मर विरान नहि छहि, तईयो पराय मानैत छहि, हम्मर म्याक भाषिका अपने छहि, मुदा मान्यता कहा दैत छहि, हौ बाबु, डका पइर गेलह, अपने भाषा आन बइन गेलह । भाषिक दियाद कहैत छहि ई मात्र हम्मर बोली, … Continue reading

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मैथिली गजल : नहि कहु चान हमरा

~सुधा मिश्र~ नहि कहु चान हमरा दाग सँ कलंकित छै दिय नहि मान हमरा दान सँ कलंकित छै देख लिय मोन भरी जतेक देख सकी अँहा दिव्य रुपक काँया परान सँ कलंकित छै

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धिमाल भाषी कविता : केलाई माल्होनाखे

~अजितकुमार धिमाल~ पासिमको टुप्पाता, धिन्चिकिउ न्होतेङ टिकिउ, टिकिउ पाखे… हाइदोखे कालाउ …? फाइसालाम होइ ल्होसु दोखे । तर केलाइ माल्होनाखे बेला ल्होपाङ जिमन्हाखे

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मैथिली कविता : आजुक मिथिला-गान

~धीरेन्द्र प्रेमर्षि~ मानैत छी जे नहि अछि एक्खन, दुनियाकेर भूगोलमे तैयो छी हम बचाकऽ रखनहि जकरा माइक बोलमे सोहर, लगनी, जटाजटिन कि झिझिया, साँझ, परातीमे एकहकटा मिथिला जीबैए, एकहक मैथिल छातीमे लोहछल नस-नसमे एखनहु तिरहुतिया सोनित बरकैए

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धिमाल भाषी कविता : कांको देराको नियति

~डम्बर धिमाल ‘प्रकृति’~ का गोताङ लापिहोइ काला कांको खामालगेलाइहेङ कांको भूमिहेङ कालाउ, कांको बादेलहेङ हाइं दोनु कांको खामालहोइ कासेङ मानाल्हि कांको भूमिहोइ कासेङ माथाम्बेहि कालाउ, कांको बादेलहोइ कासेङ माथुम्हि

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मैथिली गजल : दाग सँ कलंकित छै

~सुधा मिश्र~ नहि कहु चान हमरा दाग सँ कलंकित छै दिय नहि मान हमरा दान सँ कलंकित छै देख लिय मोन भरी जतेक देख सकी अँहा

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थारू भाषी कथा : मनके द्वन्द्व

~माेती राम चाैधरी `रत्न´~ आज श्रीमान अप्न इसेवाके पैसासे रिचार्ज करल ओकर संघरियकमे जम्म सय रुपियाँ दारल । उ अपन संघरियक लाग अपन श्रीमतीके समुहमसे एक लाख पचास हजार भोजाहा रुपियाँ निकार देले रहे । ओहे रुपियाँमे किस्ता तिरक लाग … Continue reading

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मैथिली गजल : कहके आँट रखैत छी

~सुधा मिश्र~ भुलि नई सक‌ैछी ने कहके आँट रखैत छी मोन ही मोन सही बहुत याद करैत छी व्याकुल होइछी जखन देखलाय सुरतके अँहाके डि.पी. के जुम कय कअ देखैत छी

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विनीत ठाकुरका दश मैथिली हाइकु : ( मानवता विशेष )

~विनीत ठाकुर~ १. ज्ञान उपर अहंकारक पर्दा जीवन नष्ट । २. विशुद्ध प्रेम आदान–प्रदान सँ मोन मे शान्ति ।

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अनूदित नेवारी कविता : मनूया भाय् मथूम्ह मनू जि !

~अलका मल्ल~ अनुवाद : दीपक तुलाधर मनूत लिसे वने मस:म्ह मनू जि खुसिनाप बा: वने गथे फै रे जि ! मनूतयत हेयेके मस:म्ह मनू जि परिस्थिति नाप ल्वाये गथे फै ले जि !

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मैथिली मुक्तक : डाक्टर भगवानक दोसर रुप

~सुधा मिश्र~ करोना डरे बन्द बाटघाट मल हल एहनमे अस्पताल अछि मात्र खुजल डाक्टर सचमे

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मैथिली गजल : मस्त भेल छै

~धीरेन्द्र प्रेमर्षि~ राजनीति खुब मस्त भेल छै सोनित सभसँ सस्त भेल छै जन-जनके जी-जान उड़ाबऽ सेना-पुलिसक गश्त भेल छै

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मैथिली समीक्षा : मैथिली कविताक जापानी विधा

~चन्दनकुमार झा~ वैज्ञानिक उपलब्धि, पश्चिमी विचारधाराक प्रवेश, प्राचीन परम्पराक प्रति विरक्ति, आ अन्यान्य भाषा-साहित्यक प्रभावसँ मैथिली साहित्यमे खासक’ कविताक्षेत्रमे आधुनिकताक सूत्रपात भेल । बंगलाक प्रभावसँ एकर कल्पनाशीलताक विकास भेलैक । अंगरेजी आदि भाषाक प्रभावसँ मैथिली कवितामे प्रयोगवादी परम्पराक विकास भेल … Continue reading

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तामाङ भाषी कविता : ल च्याङ्बा(कान्छा भगवान)

~नेत्र तामाङ~ खसु खामा साकक, म्लाङगै गन्डक खाला रो रेङ्बा छोदो पौ ल च्याङ्बा, म्लाङ्गै गन्डक खि म्याङ ल छ्युपेङपेङ ल ब्याहा जिन्जी, भतेर खाल्से असोल्नी ब्रिखु पित्खो ल च्याङ्बा, ब्रिखु मुयम ब्रि म्याङ् ल

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सुधा मिश्रका नौ मैथिली हाइकु

~सुधा मिश्र~ नव सालमे खाइ सतुवा गुड तँ शत्रु नाश जुरशीतल एक चुरुक पानि शुभ आशिष

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तामाङ भाषी बाल गीत : वाई हाजी वाई हाजी

~संकलक : नेत्र तामाङ~ वाई हाजी वाई हाजी च्यागो आले नाका मामा कोतेक्ची वाई हाजी वाई हाजी च्यागो आङा चिङ्ना ल ब्ला माजी कोतकोत कोतकोत, खित्खित् खित्खित्

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मैथिली गीत : मानवता

~विनीत ठाकुर~ नहि भटकु धामे–धाम राखु मानवता पर ध्यान लागु दीन–दुखी के सेवा मे भेटत ओतहि भगवान भीतर सँ तोडि़ देलक मिथिला के दुःख आ गरीबी मन्दिर के बाहर दुःखिया बनल अछि परजीवी

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मैथिली कविता : नव साल

~सुधा मिश्र~ सजाक कलश प्रवेशद्वार दक अरिपन लँ सिनुर पिठार बेली चमेली गुलाब लक लाल स्वागत अछि आउ हे नव साल सुख समृद्धि लक ढेर रचि उमंग उत्सवक बेर

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लिम्बू भाषी कविता : वाभोक्ङा

~दिल पाक्सावा~ आइङ आनसान् कानिप्सु सिक्किममा थोसिङवारक्अ वाजाक्काङर वाहाङ्ङे थुङ्साप, पेसाप् मुन्धुम्बा काम्न लोक्काङल वाहाङङे कुलेक्वाअ कानिप्साङ ।

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मैथिली कविता : सिखायल लकडाउन

~सुधा मिश्र~ किया अतेक उदास अतेक बिचलित अछि इ घरी हमरा लेल त एहन क्षण एहन पल छल सर्वोपरि किछु दिनक लकडाउन किया लगैय मृत्युु समान जिनगीए छल लकडाउन कहाँ केलिय‌ै हम अपमान

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लिम्बू भाषी गजल : कोरोना

~दिल पाक्सावा~ कोरोनाङा चोगुए निताङ युङ्मा एखान्लो तुङ् ताल, सुङ्मा लम्बे चिङमा एखान्लो माक्सेन्ङा हुन् चासोमा माक्स्ङा मिरा तेप्मा माङघा लाम्बा सेवा चोगी हुन् रङमा एखान्लो

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लिम्बू भाषी कविता : पुतुके

~दिल पाक्सावा~ तान्छोदिङ् चुजी नाम्से सुरित् सुरु ताआङ् सिङ्बुङ्ममाहा? सुरित् कुइक्पेन्न पनुनुर मुलाङ्क येन्न पुतुके ताआङ् कालाङ्बा सिङ्बुङ कुजङङ युङसिन्

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विनीत ठाकुरका छ मैथिली हाइकु : ( कोरोना विशेष )

~विनीत ठाकुर~ १. धरती पर पसरल कोरोना खोजी दबाई । २. कोरोना रोग पसरय भिड़ मे रही एकात ।

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