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२. हाइकु कसरी लेख्ने ?
३. गेडी कसरी लेख्ने ?
४. गजल कसरी लेख्ने ?
५. छन्दमा कविता कसरी लेख्ने ?
६. तान्का कसरी लेख्ने ?
७. रुबाई कसरी लेख्ने ?
८. छेस्का कसरी लेख्ने ?
९. मुक्तक कसरी लेख्ने ?
१०. कविता कसरी लेख्ने ?
११. सिजो कसरी लेख्ने ?
१२. तप्कना कसरी लेख्ने ?
१३. तियाली कसरी लेख्ने ?
१४. बाछिटा कसरी लेख्ने ?
१५. कथा कसरी लेख्ने ?
१६. लघुकथा कसरी लेख्ने ?
१७. उपन्यास कसरी लेख्ने ?
१८. नाटक कसरी लेख्ने ?
१९. एकाङ्की कसरी लेख्ने ?
२०. रेडियो स्क्रिप्ट कसरी लेख्ने?
21. पत्रसाहित्य कसरी लेख्ने?Follow साहित्य सङ्ग्रहालय
यो हफ्ता धेरै पढिएको
- कविता : नयाँ वर्षको शुभकामना
- संस्कृति परिचय : किरात चाड उभौली/उधौली पर्वः बारे प्रचलित मिथकहरु
- समीक्षा : अनेक आयाम छन् किराँत चाडका
- कथा : बाजेको कथा
- कथा : रिठ्ठे झाँक्री
- पुस्तक समीक्षा : लिलाम: निम्नवर्गीय जीवनको उत्कृष्ट उपन्यास
- कार्यपत्र : नेपाली उपन्यासको विकासक्रम
- कथा : झाँक्री कान्छा
- कविता : पहराको साँघुरो बाटोमा
- यौन कथा : त्यो रात
Category Archives: भाषा-भाषी साहित्य
मगर भाषी कविता : मोई ङाई आसीक याहनी
~वेगबहादुर आले~ डाबूरूट्की डाबूरूटा मोई नाकोकी पूरूट्की पूरूटा मोई नाकोकी हाडो छाला हीर माडाम चूप्की सम्म चूपा नाकोकी नाकोङन होसे मोलो ल्याक्च झट्केलो मीजाकै । ईला नाकोङ स्वाभीमान
मैथिली गजल : हमरा गामेमे
~विद्यानन्द वेदर्दी~ मधुरी पियार भेटैए हमरा गामेमे खूशी अपार भेटैए हमरा गामेमे॥ दलान,खेत-खरिहान,चौरी चाँचर, अंगना दुआर भेटैए हमरा गामेमे॥
पौराणिक मैथिली कथा : सिता जन्म के कथा
~मनोज कुमार राउत~ कथा अछि जे एक बेरा सीरध्वज जनक जी के राज्य मिथिला मे वर्षा नै भेल। लोग अकाल सँ पीड़ित होमय लागल। लोगके दशा देखी के राजा जनक ऋषि-मुनि आ विद्वान के सभा बजेलैंथ। एही सभा मे उपस्थित … Continue reading
नेवारी लोक गीत : सिलु
~अज्ञात~ हाय हाय प्रभु स्वामि छि गन झायेतेना छन्त धन्दा छाय मिसा ज्याखं याना चोना छिव जिव चोना प्रभु सल्हा साहुति मदु गन झाय तेना प्रभू गन वने तेना सिलु तिर्थ मोल ल्हुय अति पुण्य लाइ
शेर्पा भाषी गजल : तोरी ङा
~लाक्पा शेर्पा समर्पित~ ख्योर्की ङाला सेमला ज्याक्सीमा तोरी ङा दिसेम्ला नजरकी गोली ग्याप्सीमा तोरी ङा सोल्टिनी अाल्लाराङ थाक्रिङ्बु गाल्सीमा नाम् बोतलकि चासेला गाल्सीमा तोरी ङा
खाम मगर भाषी कविता : ङामी लिपि मङ सनो चोला
~व्योम जी अवतार~ काचाबालज़ पुलुउ परिके मङन्यार: हकिन गाभलज़ तुहिउ मङर: अआ सनो कखय पहार नोकिन छेछेछप्सिउ एवीसीडीय खागर वाइँद-वाइँद एक दुई सनो तीनय सलापयाल: सःसुसु
बज्जिका कविता : समयके पुकार
~सुनिल प्रसाद यादव~ उठ तु अब अठ कथि जिअई छे, एगो जिन्दा लाशके जईसन एसे त मरले अच्छा हऊ अपना माटीके लेल कमाएल,खाएल,पिअल आ सुतल हि जिन्गी न हई
शेर्पा भाषी गजल : ठिक्क जवानीला
~लाक्पा शेर्पा समर्पित~ कान्छि चोर्खू ङा ङिसु, ठिक्क जवानीला कान्छि फोरू ङा देरू, फिक्का जवानीला । लाक्पाला घडि छोगिनो ,रोके खिजे मूछूङे मिनेट घण्टा ङिमा र लो ,टिक्क जबानीला ।
मगर भाषी कविता : पाइन्ग्न कनुंग लाम(खोजौ न हाम्रो बाटो)
~भिक्षु ज्ञानमेधी~ कुत्तै राहा कान मगर जति पाइन्ग्न कनुंग लाम डाडा र भाटा छानार मजेयोसा कानुंग ईम !! वाहुन कै कनकी अग्यनंग न भुलदिया मगर कोलक हिन्दु ति देयार नामसिन न मुलदिए!!!
मैथिली गजल : बहूत दिनक बाद…
~मैथिल सुमन~ बहूत दिनक बाद आई एक टाs गजल बनल छै टुटली मरैया चहूँदीस सज्जाकऽ महल बनल छै अहाँक प्रितक वसन्त बहारक आगमनसँ प्रिया साच्चे समुच्चा इ जीन्गी हमर सफल बनल छै
नेवारी समीक्षा : नेवाःतय् दथुइ ख्यालि, न्हिलि, ध्याचू
~सुभाषराम~ नेवाः समाजय् ब्याप्त ख्यालि, न्हिलि, ध्याचूया परम्परां नेवाः लहना (अष्खष्ष्शिबतष्यल) गुलि च्वन्ह्याः धकाः क्यं । ख्यालि, न्हिलि, ध्याचूया थीथी पहः मेमेगु जाति बाय् देसय् दुसां नं नेवाःतय्गु पहः धाःसा बिस्कं । कमीक, कमेडी, सटाय्र, जोक, क्यारिकेचर, प्रहसन, वीट व … Continue reading
डोटेली गजल : हिमाल हेरी झा
~कृष्ण सिंह पेला~ कति निको मेरो अपी हिमाल हेरी झा सेती सिरानमी बस्यो शैपाल हेरी झा दशरथ रे भीमजसा सपूतसूर्ज उदाउन्या मेरो सुदूरपश्चिमा नेपाल हेरी झा
भोजपुरी कविता : मधेशी शहीदके पुकार
~ऋतिक यादव~ निर्दोष मधेसीयापे दिन-दहाड़े गोली चलल कबले चली चमड़ाके रङपे दमनके बौछार हो हर बखत शासकके झुट्टा आश्वासन मिलल केहु ना सुनलक मधेसी शहीदके पुकार हो ! आधा आवादीके खुनमे खौलत जखम रहल कबले होत रहि सौतेला अइसन व्यवहार … Continue reading
गजल : छ्यायेगु गथे जिं
~सौरभ शाक्य~ छ मदयेक जीवन छ्यायेगु गथे जिं मन मच्वन जि, सुइत धायेगु गथे जिं । सर्गतय् पिलि पिलि नगूत च्यानाच्वन
नेवारी समीक्षा : नेवाः वाद्य परम्परा
~सुभाषराम~ नेपाःगाःया आदीबासी नेपार जांितं थःगु सभ्यताया विकास क्रमलिसे मेमेगु ख्यलय् थें हे वाद्य ख्यलय् नं गाक्कं विकास याःगु दु । थःगु जातिया उत्पतिइ भगवान कृष्ण व मञ्जुश्रीया बाखं स्वाइपिं थुमिसं थनया थीथी बाजंया उत्पतिइ नं कुष्ण द्यः, मञ्जुश्रीपिनिगु हे … Continue reading
डोट्याली कविता : धन्यइ हो भीमदत्त पन्त
~जयराज पन्त~ धन्यइ हो भीमदत्त पन्त तमरो, कामको बयान क्याँ गरूँ यई धर्तीका सुपुत्र तम एक, हौ भण्या सोच्यौ बरूँ कारिगाउँ ब्रह्मकुल सरस्वतीजीका, कोखबाट जन्मी गया तारानाथ पिताजीका ममताले, परिवारमा पालिया
नेवारी कविता : मतिनाया ह्वःगु व स्वाँचा छफ्वः
~ज्ञानेन्द्र शाक्य~ स्वाँ छफ्वः हे , जक दु जिके न्है दुने नुगःया दुने दुने ह्वःगु थःम्हं हे उगु मखना च्वँगु ह्वःगु जुया च्वन दुने दुने जिगु ह्वःगु व दै धका ब्वनागु, न्यनागु
थामी भाषी गजल : नान थासाईको
~अनुपम ‘नवोदित’~ कुनी गुरी लिबि थाइन नान थासाईको ज्ञान, गुण, बुद्धि, विवेक नान नासाईको आट्ठे फिल्सा मापिईन दोङ्को सेपपालीए सेपपाली सकालेकाई नान छासाईको
डोटेली गीत : बिरुवा र धामी
~उत्तम भट्ट ‘विवेक’~ एक दिन बिरुवा भयो बिरामी मुइ खाई भुन्यो बोलाईल्या धामी मुइ गयो उन्ज्याई धामीका घर धामी नाइ भिट्या ब कसो गर?
नेवारी कविता : नेवाः बँय् नेवाः धू जुइन
~रुकशाना कपाली~ लागाय् हताः न्हापा हे जूगु खः अय् नं व हे देय नाला व हे देसय् दुने झीसं अस्तित्व माला देय् ला मन्त म्वा हे म्वाःल व देसय् दुन नं हाकनं हाकन्ं हताः जुल राजधानी जुल झीथाय्
संस्कृत भाषी समीक्षा : अभिज्ञानशाकुन्तलनाटक–शाकुन्तलमहाकाव्ययोराख्यानस्य वैशिष्ट्यम्
~सहप्रा. सागरमणि सुवेदी~ कालिदासकृतामिज्ञानशाकुन्तलनाटकदेवकोटाकृत–नेपाली–शाकुन्तलमहाकाव्ये विद्या–विभाजनदृष्ट्या भिन्ने स्तः। आख्यानसंयोजन–घटनाचित्रण– पात्रप्रयोगे च द्वययोग्र्रन्थरत्नयोर्मध्ये स्थाने स्थाने साम्य–वैषम्ये दृश्येते। मूलाख्यानाध्ययनं विना नाटकमहाकाव्याध्ययनेऽपि वैषम्यं दृश्यते। नाटक–महाकाव्ययोः परिवेशविधाने महत्त्वपूर्णं परिवर्तनमस्ति। महाकवेर्देवकोटामहाभागस्यमहाकाव्यं परिवेशविधानदृष्ट्या भागत्रये विभज्याध्येतुं शक्यते। प्रथमो भागः कण्वाश्रमं यत्र दृष्यन्तशकुन्तलयो प्रथम–सम्मेलनं भवित। तयोर्मध्ये प्रेमाकर्षणं, गान्धर्वविवाहश्च तत्रैव तपोवने कण्वाश्रमे … Continue reading
नेवारी कविता : लँ
~रामशरण महर्जन~ म्वायेत मजि मगागु लँ न्यासि हुँ, तुला हुँ, ब्वया हुँ, थहां हुँ, क्वहां हुँ, घ्वाना हुँ ब्वाय् हुँ, बुलुं हुँ, ज्वंका हुँ न्ह्यने हुँ, ल्यूने हुँ, कुबिका हुँ तलय् हुँ, कुने हुुँ, कोथय् हुँ
डोटेली युगल गीत : कन्न्या रैछ ग्वालि
~उत्तम भट्ट ‘विवेक’~ कन्न्या खोज्जु घर गयो कन्न्या रैछ ग्वालि लौन्या रैछ पैन्ट टि सर्ट, रैछ फेसनवलि गोरु बाकरा गोठ बादी झाडु पसी झाड्डु मेरा झान्या है त भुण्या आखा पसी ताड्डु
डोटेली गीत : माइत आया हु
~उत्तम भट्ट ‘विवेक’~ तम्लाई छाडी कठै लाडी क्याइ माइत आया हु न माइत कि न पोइलकी, कि दुख पया हु को गद्दो हो चुलो भाडो को कुच्चो बाट्टो हो दिन्या गोरु छाडी आइथिउ को घासु काट्टो हो
नेवारी कविता : जि प्याखं म्वः मखु
~गिरिजा प्रसाद जोशी~ जि प्याखंम्वः मखु अय् निर्माया जि प्याखंम्वः मखु छपु चुइँचुइँ पूगु बाखं ज्वनाः गुम्ह म्वानाच्वन व प्याखंम्वः मखु । थ्व प्याखं मखु
डोटेली गीत : बुट्टो राम्रो दनको
~उत्तम भट्ट ‘विवेक’~ अक्षर राम्रो कम्पनीको बुट्टो राम्रो दनको चित्त बुझुन्या कोही छैन येई उदासी मनको कुटी काटी ओखलीले पिस्या जातरीले ईती दुख क्याइ दियो हो माया कातरौले
नेवारी गजल : विश्वास व भलसा
~शोभा महर्जन~ फल्चा व बल्चा मदुसां मनू सखे म्वाइ विश्वास व भल्सा मदुसा जीवन छखे लाइ । मतिनाय् दुःख मदुसा मिखा गनं प्याइ दुःख त्वःता बिस्युं वंसा निम्ह निखे बाइ ।
नेवारी कविता : गथे खः मांं
~रिजु श्रेष्ठ~ प्यखेंरं स्वया यक्व हे दु मां अय्नं जिगु नितिं छम्ह हे छ जक ।। मां मात्र छ हे खः, जिगु जन्मया आधार रुप छंगु यक्व दु तर छ हे जिगु संसार ।। छम्ह हे मिसा तर अवतार छंगु … Continue reading
थामी भाषी गजल : साखाले बान्पालिकाई
~पहल थामी~ गाई पहलको सेवा साखाले बान्पालिकाई थाङ्मी गजल मुक्तक लेखाइनुङ् साईमासाई हिमालको पोलेडब उच्याचा नेम होदु गाईको आल्तारेङ्, दोल्गारेङ्, नाङा, रापेङ् खालम्सा ठाइ
डोटेली गजल : दोमिल्ला माइ
~कृष्ण सिंह पेला~ दोमिल्लामाइ हाल्यो फाल कैले बनायो उइको यो हाल कैले कुरा त नौनी जसा गरन्छ बुझन्छ उइकी यो चाल कैले
थामी भाषी गजल : निथेको नेम जुक्को
~अनुपम ‘नवोदित’~ दु:खा बोझ चिसाकाई बुबु कादाई रानान आट्ठे दु:खा खालाम्तोले स्युन्दुरी उनी थानान च्यूरी नेमको तलाङिनी रोस्तानाले बुबु लोङ्से दुङ्को गारेपाली बल्ला बल्ला जानान
नेवारी कविता : खोनाया सः
~दिव्या ताम्राकार~ जि खोना जि द्वलंद्वः दँ पुलांम्ह खःसां जिगु सुन्दरता नच्चाम्ह ल्यासेया थें जिगु रुप स्वयेत तापाकं तापाकंनिसें मनूत वइ जिगु वाउँगु मुलय् म्हिती