Category Archives: थारू भाषी रचना

थारू भाषी कविता : भसा

~अज्ञात~ भसावसन्तके फुलवारीमे, फुलेवलाफुल नै छेकी । नय त हाट बजारमे बेचेवलान सप्तरंगीके कुनु रंग छेकी । बरु यिटा त स्वस्थ्यमनके स्वच्छआत्माके तरंग छेकी ।

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माेती राम चाैधरी `रत्न´का पाँच थारु भाषी मुक्टक

~माेती राम चाैधरी `रत्न´~ मुक्टक १ सुने सबका, काम करे अपन मन्का कठै । सुखमे हाई-हाई, डुःख अपन ठन्का कठै । मेलमिलापके जिन्गी, सबहे सहयाेग कर्टी, नेपालीनके भाइचारा, डुनियाँ खन्का कठै । मुक्टक २ खाली हाट अाइल रही, खाली हाट … Continue reading

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थारु भाषाके अनूदित बालकथा : मामु बुझ्ठि

~विनय कसजू~ अनुवाड: माेतीराम चाैधरी `रत्न´ ‘चुनु, होमवर्क वरैलाे ? ’ ‘टम्हन्ने वरुवा सेक्नु मामु !’ ‘टब टे अाब किताब पढाे । गेम ज्याडा नाखेलाे ।’ ‘खेल्ले नै हु मामु । बाबक इमेल आईल कि चेक करटु।’ मामु एकडम अस्टे … Continue reading

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थारू भाषी कविता : निर्दयी गुलेता

~अमित पनहर चौधरी~ मधुर स्वर चिरैयन् के मन चुराबेला बगैँचा वा मे का पता गुलेता के जीवन जुटलबा ई चिरैयन् मे। खोतामे अण्डा, बच्चा वा छोर के आइल चिरैयन् चरे गछिया मे दया न लागल ई गुलेता के मार गिरादेल … Continue reading

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थारू भाषी कथा : मनके द्वन्द्व

~माेती राम चाैधरी `रत्न´~ आज श्रीमान अप्न इसेवाके पैसासे रिचार्ज करल ओकर संघरियकमे जम्म सय रुपियाँ दारल । उ अपन संघरियक लाग अपन श्रीमतीके समुहमसे एक लाख पचास हजार भोजाहा रुपियाँ निकार देले रहे । ओहे रुपियाँमे किस्ता तिरक लाग … Continue reading

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माेतीराम चाैधरी `रत्न´का पाँच थारूभाषी छेस्काहरू

~माेती राम चाैधरी `रत्न´~ १. सुफ्लैना बानी मजा, गरियना सु-ढर्ना हाे । मैयाँम नै हाे सजा, यसिन साेच कु-ढर्ना हाे । मैयँम ना चोरी लगैठा, ना टे कबु बाेरी भर्ठा, मैयाँ मोहसे राजा, चामचिम हाेके नु-ढर्ना हाे । २. बाटके … Continue reading

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अनूदित थारू भाषी कथा : चरित्र

~डा. टीकाराम पोखरेल~ अनुवाद : माेती राम चाैधरी `रत्न´ ‘तै छिनारी बटे ।’ विराज जोरसे बाेलल । ‘का ? का िछनार काम करनु मै ?’ ढिरेसे पुछ्ली सानु ।‘और मुहेमुहे लागटे?’ विराज आपन आवाज बर्हाइल। ‘ढेर बोल्ले नै हु, पुछटु … Continue reading

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थारु भाषी निबन्ध : बरा पत्रकार हुइलक

~कृष्णराज सर्वहारी~ २०३२ सालमे त्रिचन्द्र कलेजमे पढेबेर विद्यार्थी आन्दोलनमें जेलजीवनके पहिला भोगाई ढकाल ऊ लेखमें लिख्ले बटाँ । संकटकाल लग्लकवाद बहुत धेर मनैं हिरासतमे अनुभव अपन मनके सन्दुरखमे कैद कैले हुइहीं । मै फेन कौनो दिन हिरासतमे एक रात मामनघर … Continue reading

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माेतीराम चाैधरी `रत्न´का पाँच थारूभाषी हाइकु

~माेती राम चाैधरी `रत्न´~ १ नङगा हुइटा डिन-डिने बस्टी जवान विना । २ भाेहर लागठ आजकाल महि हमार गाउँ-बस्टी ।

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थारू भाषी गजल : मुस्कान गजल जैसिन

~मेन्जावीर चौधरी~ तुहार मुस्कान गजल जैसिन तुहार मुहार कमल जैसिन तुहार नरम-नरम ऊ ओठ लागत नसासे भरल जैसिन

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थारू भाषी गजल : तब तुफान आई

~मेन्जावीर चौधरी~ जब यी कलम चली तब तुफान आई जब यी गजल बनी तब मुस्कान आई आऊ तुहाथमेहाथ काँढमेकाँढ मिलाऊ तब जाके हमार एकताके सान आई

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थारू भाषी गजल : भुवा बनगील

~मेन्जावीर चौधरी~ धिरेधिरे आगी बरल भुवा बनगील । टिपटिप आँश झरल कुवाँ बनगील ॥ जनचेतना से बञ्चित मोर प्यारा गाऊँ झनझन जाँड पिके मदुवा बनगील ।

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थारू भाषी लोक कथा : म्वार ठिउन् जाई बाजी रहल् ठाऊ मन्जोरी !

~सोम डेमनडौरा~ “अरी, सिंगहान छोट्की बेढ्ढक पैसा पठैठिन् जे हो ।” “कहाँ से हो?” “अइ हो जन्ल नि हुइटो नी? नेपालगंज से ट काहुँ । सारिसा ट उहँ रठिन् जे । लर्का व ठर्वा यिहँ रठिन् । कबुकाल केल ट … Continue reading

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थारू भाषी गजल : प्यार नुकैबु मै कैसिक्

~सलिना कुमारी चौधरी~ जब भोजक बाट हुइ,घरम प्यार नुकैबु मै कैसिक् आई कोइ लेहे महिन्,ओकर साथ जैबु मै कैसिक् टुह्ँ टो खुल्के प्यारके एक्रार करे निसेक्लो टो अब आपन ओ टुहार घर परिवार हिन् बटैबु मै कैसिक्

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थारू भाषी गजल : आइहो बरात लैके

~सलिना कुमारी चौधरी~ टुँह् डुल्हा मै डुल्ही बनम आइहो बरात लैके सज् ढज्के डोलिम् बैठम आइहो बरात लैके टरेसे लैके उप्पर सम्म हर तरफ् टुहार नाउसे सोह्रा  सृंगारम  मै  सजम आइहो बरात लैके

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थारू भाषी कथा : सिरुवा

~शेखर दहित ‘कालिका’~ जिम्दरुवक सिरुवम कंगलु आपन नाउसे ध्यार सराङ्गया कैख चिहिन्जाइठ। बाँसहस स्वात्तसे ढेङ्ग, भौकाहस कान छोपल झब्ल्यार कपार, सद्द ठोरचे लिहुर्रल रहथ। एक पाख्म बडामुश्किलसे एक फ्यारा लहैना दखिनघरान कुवम पनभर्निन ओकर करङ्ग ओ सुखल पुठ्ठा देख्क हँस्ना … Continue reading

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थारू भाषी लेख : थारु भाषा एक परिचय

~तेजनारायण पञ्जीयार~ थारु भूण्डलके देश मधे जगजाहिर हिमाल पहाडके दखैनबैरिया काखमे आपन नेपाल देश सतयुगहैसे अवस्थित छै । नेपाल दुईटा वडका बडका ढोङ्गाके बीचमे पुनघलहा खमअरुवा लखा उत्तरमे चीन आ औरो तीन दिसरसे मोगलान देश घैरने छै । नेपालके क्षेत्रफल … Continue reading

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थारू भाषी कथा : जुनीक जीन्गी

~निशा चौधरी~ “मै वेश्या नै हुँ । मै कौनो फे वेश्यालय खोल्ल नै हुँ । मै एक आदर्शवादी पवित्र नारी हुँ । मै पैसा लेक कौनो फे पुरुष मनैनसे यौन व्यापार नैकर्ल हुइटु । मै यौन व्यापारी नै हुँ ।” … Continue reading

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थारू भाषी मुक्तक : मीठ मीठ गाला मर्ली

~चित्र लक्ष्मी~ पहिल भ्याँटम मीठ मीठ गाला मर्ली द्वासर भ्याँटम निंगारके प्याला भर्ली लौक लौक लौकती रह हमार प्रेमनैया-

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थारू कथा : बट्कोही हिरो

~सोम डेमनडौरा~ नेंढान टर्नि आज पुरा फिटान् बा । डोक्ल्याक डोक्ल्याक न्याँगटा सल् गल्ली । ज्यान कुन्टलसे ढ्यार हुइहिंस् । साँवर, ठुल ढ्यांग, डर लग्टिक अउर छन्डान जिऊ । पच्छिउँसे डौंक्टी आइटा । “टेरी गुन्डा सारे । आज टुहिन् चिर्के … Continue reading

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थारू भाषी मुक्तक : सिम फे किन्देनु

~सगर कुस्मी~ तुहिनसे बाट कारक लग सिम फे किन्देनु गलेम लागेन पाउडर, क्रिम फे किन्देनु अकेली रहो संग नै पके

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चित्र ‘लक्ष्मी’का थारू भाषी दुई हाइकुहरु

~चित्र ‘लक्ष्मी’~ झिङ्नी बेल्भार जोन्ह्याँ ओ अज्जरार दूर त नि हो ? औंसी ना पुन्नी

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थारू भाषी कविता : डहरचन्डीक बन्क

~सुशील चौधरी~ जन्नीह चिमचाम डेख्क जिन झंख्रहो ठर्वा, पटोहिया मौन बा कैक जिन डँक्रहो छावा, डाइ निब्वालठो कैक जिन ठौकहो बाबा । छाई मु सिलबाटिस् कैक जिन ढम्क्यइहो डमन्ड्वा,

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थारू भाषी गजल : पर्ख नि हुइ आब

~बुद्दिराम चौधरी~ आघ बर्ही सङ्घारी हुक्र पाछ पर्ख नि हुइ आब / नि हच्की नि डराइ यी ब्यालम डर्ख नि हुइ आब // लिखाइ अधिकार सम्बिधानम पहिचान सहित के / जितिह ेरहल्म फे हम्र सक्कुज मर्ख निहुइ आब //

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थारू भाषी गजल : कठु जाँरक भंक्री

~एम के कुसुम्या~ निदेलसे घरक मनै छोर्देम कठु जाँरक भंक्री कबु काल रिस लग्था फोर्देम कठु जाँरक भंक्री मै मटोर्या अस्त बातु जाँर निहोक निसेक्तु मै देना बा त देओ नै त चोर्देम कठु जाँरक भंक्री

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थारू भाषी कविता : खै, कहाँ बा भ्यालेन्टाइन !?

~लक्की चाैधरी~ बजारमे हल्ला बा, कति हुँ आइल बा भ्यालेन्टाइन ! एहोर ओहोर हेर्नु कोनुवा कप्चा निहर्नु नै लागल नजर कहुँ मनहे पुछ्नु खै, कहाँ बा भ्यालेन्टाइन !? बजार चोक चिया पसल, सडक गल्ली

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थारू भाषी कथा : कमैया बस्तीम् भगन्वा

~कृष्णराज सर्वहारी~ १ नेपालके मनै गरीब होके दुःख पइलाँ कहिके भगन्वा दानबीर बन्के अइलाँ । हुँकार आघे मंगुइयनके लाइन लाग गैलिन । – प्रभु मोर घर २ तल्ला किल बा । कम्तीमे ५ तल्ला टे बनाइ पाउँ । – प्रभु … Continue reading

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थारू भाषी कविता : सविनयाँ

~लक्की चाैधरी~ सवनियाँ गदरवा वर्खाबुन्दी बर्सल । कजरिया थर्कल बद्री जीउ माेर तर्सल ।। बर्का पानी बरसल अइसिन जाेर । मच्छीमारे गैलीगाेही खवइली झाेर ।।

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थारू भाषी गजल : पच्छिउँ से जागी हम्र युवा

~सुरज बर्दियाली~ उत्तर दख्खिन पुरुब पच्छिउँ से जागी हम्र युवा// समाज विकासके कर्तव्यसे जिन भागी हम्र युवा// बुँदा बुँदा पानी मिल्क जस्तक बनट समुन्दर, असम्भव हे मिल्के सम्भव बनाए लागि हम्र युवा//

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थारू भाषी मुक्तक : सडकमे अइठाँ

~छविलाल कोपिला~ कबो जाति विरोधी कबो अतिजाति सडकमे अइठाँ देखो यहाँ घेंघा फुलैटी उहे राष्ट्रघाती सडकमे अइठाँ यी देशके शासक ओस्ते हम्रहिन भेंरी नै कहल हुइही

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थारू भाषी बालकथा : पश्तो

~छविलाल कोपिला~ ‘अई ! ऊ लवन्डा हेरो कैसे–कैसे करटा ?’ ‘अई ! के हो ?’ ‘के रही, सझ्लान बर्किक छुट्की दुलरुवा छावा हुइन्, उहे हरबरिया, के रही ।’ ‘यी, दबवा पैनाहस्, यकर दाई–बाबा कुल नै हेर्ठुइस् कि का ?’ ‘हेर्हिस् … Continue reading

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थारू भाषी छन्द कविता : कहाँगिल अगहनिया नेन्धर ?

~लक्की चाैधरी~ छन्द : सवाई  कहाँगिल अगहन, थारुनके रीति ? हेरागिल हेर्तीहेर्ती, नेन्धरके मिति ?? भुलेलग्ली संसकृति, हेर्तीहेर्ती हम्रे । धेरजन्ना होकेहोकी, नैसेकली सम्ह्रे ।।१।। ढिक्रीबेचे जाइदुल्ही नातनके घर । निसफिक्री होकेबैठी नैरहिन डर ।। सबओर स्वतन्त्रता मनलग्ना दिन ।

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