~मेन्जावीर चौधरी~
जब यी कलम चली तब तुफान आई
जब यी गजल बनी तब मुस्कान आई
आऊ तुहाथमेहाथ काँढमेकाँढ मिलाऊ
तब जाके हमार एकताके सान आई
तुजाऊ अपन धर्म-राष्ट्र बचाऊ जल्दी
तुहिन बचाई स्वर्गके भगवान आई
थारू गजलके दुई-चार पाना पल्ताऊ तु
तब तुहिन थारू साहित्यके ग्यान आई
जब तु महिन आई लभ यू कबो तब
महिन तुहार याद साँझ-विहान आई
– मेन्जावीर चौधरी
हसुलिया-९, कैलाली
(स्रोत : थारु गजल फेस्बुक पेज)