Category Archives: भाषा-भाषी साहित्य

मैथिली गजल : जाइ छै

~डा राजेन्द्र विमल~ नयनमे उगै छै जे सपनाकेर कोँढ़ी, फुलएबासँ पहिने सभ झरि जाइ छै कलमक सिनूरदान पएबासँ पहिने, गीत काँचे कुमारेमे मरि जाइ छै चान भादवक अन्हरिये कटैत अहुरिया, नुका मेघक तुराइमे हिंचुकै छल जे बिछा चानीक इजोरिया कोजगरामे … Continue reading

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मैथिली कविता : कोरो आ पाढि

~विनीत ठाकुर~ गरीब छोरि कऽ के बुझतै गरीबीके मारि । ओ तऽ पेटे लेल जरबै छै कोरो आ पाढि़ ।। भेल छै स्वार्थी सब नेता अपने स्वार्थे में चूर । छिनलकै जे सपना सुख भऽ गेलैक कोसो दूर ।।

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मैथिली गजल : कुच्चा छै

~धिरेन्द्र प्रेमर्षि~ शासनके लोडहीतर लोक बनल कुच्चा छै लोडहपर हाथ जकर अगबे सब लुच्चा छै कहने छल जत्ते छै खधिया हम पाटि देब वैषम्यक ठाढ मुदा पर्वत समुच्चा छै

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लिम्बू कविता : लछा याक्थुँग आवैबारो

~रमेश नेम्बाङ~ मेन्चामा चाहा चामेम्बे मेन्थुँगमा थीहा थुँगमेम्बे मेन्चामा चाहा चामारे याँगकेशाबा आनी आबोखे मेन्थुँगमा थीहा थुँगमारे शेखाबा केबा आबोख्पे लाम मेन्दँग लाम्मे आगेँग्लो पान मेन्दँग पानेन्ले आमेक्लो

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हाङपाल आङबुहाङका ३ लिम्बू हाइकु

~हाङपाल आङबुहाङ~ -१ – यरिक तङ्बे खेने ए हङ्नेइल्ले फुङ्हा इसुरे -२-

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मैथिली गजल : चोख फार भेल छी

~धीरेन्द्र प्रेमर्षि~ घसाइत आ खिआइत चोख फार भेल छी गला-गला गात गजलकार भेल छी शब्दकेर महफामे भावक वर-कनियाँ लऽ सदिखन हम दुलकैत कहार भेल छी धधराक धाह मारऽ पोखरि खुनाएल अछि

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नेवारी कविता : मोहनि

~दुर्गालाल श्रेष्ठ~ बन्द नाकां छुं मव:सां धिकिहिँ वल रे मोहनी गय् थ्व न:लास्वां अरे रे गुलि पनि उली ह्व: खनि

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मैथिली कविता : गाम–नगर में

~विनीत ठाकुर~ गाम–नगर में सोरसराबा सुनल गेल बड़ बेसी । लोकतन्त्र में अपन अधिकार लऽकऽ रहत मधेशी ।। जनसंख्या सँ जनसागर में जोरल छलौं हम सीधा । खाकऽ हमहुं लाठी गोली पारकेलौं सबटा बाधा ।। बटवृक्षक अंकुर बनि जनमल कतेको … Continue reading

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लिम्बू गजल : याप्मी लाजे ओ येप्मा पोङ् निङ्वा ए मेन्दाए

~हाङपाल आङबुहाङ~ याप्मी लाजे ओ येप्मा पोङ् निङ्वा ए मेन्दाए खासाङ् आङ् वाआ पाप्मा पोङ् नुरिके मेन्घाए याप्मी पान् खेम्नु नुनुबा सेप्माङ् रक् निमेन्लो आत्ति साङ् याङ्सा मेधक्नेन् होम्रिक्वा मेन्धाए

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चाम्लिङ गजल : इमोला

~विमला केयरलेस~ आङा आछु हिङेनाओ छाप्दिइ इमोला झारा खुइन्यो खुइसेको साप्दिइ इमोला मोछामामो उम्भुसी थुतुरी ङासैना काँ मेन्सा सुम्निमाओ पारुहाङ हाप्दिइ इमोला

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मैथिली गजल : एखन बाँकी अछि

~रामभरोस कापडि ‘भ्रमर’~ करिछौंह मेघके फाटब, एखन बाँकी अछि चम्कैत बिजलैँकाके सैंतब, एखन बाँकी अछि उठैत अछि बुलबुल्ला फूटि जाइछ व्यथा बनि पानिके अड़ाबे से सागर, एखन बाँकी अछि

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लिम्बू कविता : आदाङ्बे

~सुजन सेलिङ~ आदाङ्बे ! तुरा ओ नु हारा नुखेआङ फेरेओ, हिन्जाहा:रे खेनेरक केम्गोताङ आघ्रे मेभेन्दु । पप्पा थेयाङ मेदानेन ग? लरिक सेकेम्लाप । पप्पा आकतङ्ब पोखेयी लरिक

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संस्कृत गजल : कवितायां सुधा नास्ति

~नरेन्द्र पराशर~ नास्ति छन्द : कला नास्ति नास्ति लालित्यमेव च कवितायां सुधा नास्ति पश्यातङ्कं भयावहम् । अलङ्कारोपमा नास्ति नास्ति काव्यस्य चेतना कवितायामुषा नास्ति पश्य ध्वान्तं भयावहम् ।

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बान्तावा कविता : अनङ्वा नेपाला

~पदम राई~ अनङ्वा नेपाला नि यङसा पात नमेत्ताङ तान नमेत्ताङ लुङ वेन नमेत्ताङ लाम छेक नमेत्ताङ नेपाला छेक नमेत्ताङ । द्या नलुवाङ खुवाङा काङसाङ उङका बुया-बुया लाम तित्ताङ खोचि देङदा कसा-कसा मकोला

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गीत : भा:तया निम्तिं

~गिरिजा प्रसाद जोशी~ भा:तया निम्तिं भुटानदेवी ग्वंग: फ्यात का मज्जां च्वना: नय् य:सा ड्राईभर भा:त का । टुँइक्क हरन् न्याय्का: वय् सुंम्क छ पिहाँ वा न्ह्यने च्वंगु सुलिमय् सुंम्क छ दुहाँ वा ।

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मैथिली कविता : हम युद्ध नहीं जित सकल छी

~नन्दलाल आचार्य~ (१) शान्ति आ सुव्यवस्थाकेँ अस्त्र बनेलिही केलही, बहुत केलही सभकऽ मनमनमे ढोल बजेलिही जीवनमे बारम्बार भूकम्प आनलिही सडक गरमेलही, निद्रा उडेलही सपना बाटलिही, अस्थिर भविष्य देलही कमै चेतना दैक ललिपप चटवैत तन, मन, धन लेलही, कोनकोनसँ समर्थन भेटलिही … Continue reading

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मैथिली कथा : चौकपरक मौगी

~बृषेश चन्द्र लाल~ हँ, आब ओकरा चौके तँ कहैत छैक । नाम धएलकैक अछि मेगा चौक ! कनेक अङरेजिया नाम । एहिसँ नवतुरिया कर्णधारसभमे अपन मौलिकता, संस्कृति, भाषा आदि आ कही तँ साँच ई जे स्वयं अपनोप्रति बढ़ैत हीनताबोधक स्थिति … Continue reading

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चाम्लिङ कविता : दिखारिपा

~तिलक चाम्लिङ~ चामादुङ देई पाइना नाखै खारु खुसा्र मिलाम्थेको दिखारिपाचीमो लाम इसाचापा ! खाना देनो ताहोत्यु सेम्तु पाइनाको सीरीया चापा आसो काँ खैमो स्यामइ चेतुइनो मिपेरेङासेको वासालई उम्खासेलो चामा इनाए खुवानाखो चान्योको छाम छाम्मा लेस्यो देनो ताहोत्यु थलो इसाचापा ! … Continue reading

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नेवा हाइकु : जीबन लाप्चा

~सबिन महर्जन~ “जीबन लाप्चा” १ बांला की मला ख्वा: हिला हिला जुल ऋतु जीबन २ बर्षा क्वचाल बुँईचा त ति:न्हुल वा:लया: हल: ३ उचाई मखं उचाई नी दयकीला आकाश स्वया:

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मैथिली गीत : सहिदक आत्मा जरए

~गजेन्द्र गजुर~ ननकिरबो मरए ,बुढबो मरए लइल अधिकार।। सहिदक आत्मा जरए,टसँमसाइ नहि जाली सरकार।। लहुमाला छिरियाल माएँ के आचरमे बोदम बोद नोर कऽ डिढीर फारल पाथरमे मिटौने नइ मिटत माँए मधेशक ललकार ।।

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चाम्लिङ अनूदित कविता : कैका

~भूपि शेरचन~ अनू : तिलक चाम्लिङ कैका वीर हिङाच्के तर तयाहोरा हिङाच्के कैका तयाहोरा हिङाच्के त्योसोनोम वीर हिङाच्के कैका तयाहोर मितुर देलो वीर तुर्मा पाचापुम्किना कै कहाभारतदा हिङेको एकलब्य देलोलाखै द्रोणचार्यवा कैकालई हेला मैद्यो हेकालइै तया इमा छइदे आम्का तया … Continue reading

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चाम्लिङ अनूदित कविता : जुठी दमिनीमो दिम

~पारिजात~ अनू : तिलक चाम्लिङ स्यामुना हजुर…… मालिक पिछा ह्यनी हिङानी आङा नुङ् लक्ष्मी पापामामामो इटो छैकुमा ठूली पुनी ऐनाको पकू पुनी ऐनाको पकू पूनी ऐनाको ठूली पुनी ऐनाको गरिबमो खिमदा ढिप्री लेतुँवाको हजुर ढिप्री । ङो कर्मवा खोटी

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चाम्लिङ कविता : लिउमा सिखालामा

~विपल बोयुङ~ लापाको सिमी बुसीको हसुङदा वाइ-वाइ चोमोलुङ्मा खैमो बुसीको ङालुङ आसो लिउमा तिरे खैनीवा दुङवा ङालुङ लिउमा सिखालामा । खैमो खुइचुङदा झारा खैपाची पाम्मा छिमा ङालेङासे झारा युङ्खादाका म्हैपामो लिम धिम्मे

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मैथिली गजल : आजादी

~गजेन्द्र गजुर~ आजादीके ज्वाला दनकैत रहतै, ओसब ओहिना फनकैत रहतै, जुलुम कले चिच्यानञि रति भरि, चाहे बिरुद्धमे सनकैत रहतै,

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विनीत ठाकुरका मैथिली मुक्तक

~विनीत ठाकुर~ ————- मेंहदीकेँ रंग ——————– खनकेँ कंगना गमकेँ हाथमे मेंहदीकेँ रंग साओनकेँ फुन्ही संग मोनमे नवीण तरंग एहनमे तरसे श्रृंगार पिया दुलारक लेल घर आउ परदेशी रहु किछु दिन संग ।। १

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चाम्लिङ गजल : सिलीदा छाम्मातिरे

~विपल बोयुङ~ बानान्यौ वैनिचि सिलीदा छाम्मातिरे पुसिएकै झरासो इरिलुङ लाम्मातिरे खैमो छूलै वाई-वाई पाङासौ बोखा रिङे एन्यु खैनी हुलामा मै ल्यावा चाम्मातिरे

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मैथिली कविता : ओ शान्ति छि’

~गजेन्द्र गजुर~ सर्वत्र सँऽ भगाय ल, मधेश मे आइब नुकाय ल, तबो जे छिन लेल क, ओ शान्ति छि ॥ जनह तन युद्ध-एनह गोहारि, गर्दमगोल भ पडय मारि, अन्तमे छाती मे समालि, बाकी रहल,

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मैथिली कबिता : अपन मधेश

~गजेन्द्र गजुर~ देख वृकति यही देशके, दिनानु दिन विग्रले जाय अपन मधेशके ॥ सब एक जुट निर्माण करब स्वदेश के, हरियर आवास बनायब अपन मधेशके॥ देख वृकति…

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मैथिली कविता : जागुऊ मधेश।।

~गजेन्द्र गजुर~ निकाइल सबटा गौहमन कऽ बिख, किए क त शोणित मे दिए मधेश लिख, बान्हल हाथ कऽ टुट्ल न राइस, पैर भाइज तौँ कि फेरो त गेलु फाइस॥

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मैथिली कविता : वृद्ध–वृद्धा

~विनीत ठाकुर~ वृद्ध–वृद्धा थिक घरक बडेÞरी छथि समाजमे देव समान । सदा ओ सोचथि सभक हिक करथि जन–जनकेँ कल्याण ।। कौवा कुचरऽसँ पहिने उठिकऽ गावथि नित भोर पराती । टोल परोशक निन्नकेँ तोरैत जगावथि बेटा, पोती, नाती ।। पोछैत पसिना … Continue reading

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मैथली कविता : आन्हर केँ शहर मे

~विनीत ठाकुर~ ऐना केँ कि मोल आन्हर केँ शहर मे । भेल उन्टा मुँह सुन्टा अपने नजरि मे । ज्ञानक शुरमा लगाकऽ जे बजबैय गाल । व्यवहार में देखल ओकरो उहे ताल ।।

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मैथिली गजल : जोरजुलुमसँ जे ने झुकए से भाले लगए पिअरगर यौ

~धीरेन्द्र प्रेमर्षि~ जोरजुलुमसँ जे ने झुकए से भाले लगए पिअरगर यौ इन्द्रधनुषी एहि दुनियामे लाले लगए पिअरगर यौ ठोरे जँ सीयल रहतै तँ गुदुर–बुदुर की हेतै कपार! एहन मुर्दा शान्तिसँ तँ बबाले लगए पिअरगर यौ

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