~रवीन्द्र शाह~
माया गयो झन पर पर
नौ डाँडा काटेर कुन घर
नौ डाँडा काटेर कुन घर
माया गयो झन पर पर
ृजाने गयो परदेश तिर
माया साथै लिएर गएने…२
बाँचु भने खातिर कसको
अब उनको भरोसै रहेन
माया गयो झन पर पर
नौ डाडा काटेर कुन घर
नौ डाडा काटेर कुन घर
माया गयो झन पर पर
ृसाथ छुट्यो जीवन भरी
प्रीती मेरो कहिले छुटेने…२
बिर्सी गयो अचम्मै गरि
चाहनाको भावना टुटेन
माया गयो झन पर पर
नौ डाडा काटेर कुन घर
नौ डाडा काटेर कुन घर
माया गयो झन पर पर
ृआँसु झारी बोलाएँ मैले
जानेले त फर्केर हेरेने…२
छाती फाडी देखाएँ मैले
ढुङ्गे दिलमा असरै पारेन
माया गयो झन पर पर
नौ डाडा काटेर कुन घर
नौ डाडा काटेर कुन घर
माया गयो झन पर पर
शब्द :रवीन्द्र शाह
स्वर : बि.के. शाही
सङ्गीत : ज्ञान बहादुर