~भानुभक्त आचार्य~
चपला अबलाहरु एक् सुरमा,
गुनकेसरिको फुल ली शिरमा।
हिडन्या सखि लीकन ओरिपरी
अमरावति कान्तिपुरी नगरी।।
यति छन् भनि गन्नु काहाँ धनि ञाँ,
खुसि छन् बहुतै मनमा दुनिञाँ।
जनकी यसरी सुखकी सगरी,
अलकापुरि कान्तिपुरी नगरी।।
कहिँ भोट – र लण्डन – चीन – सरी,
कहिँ काल्-भरि गल्लि छ दिल्ली-सरी।
लखनौं – पटना – मदरास – सरी
अलकापुरि कान्तिपुरी नगरी।।
तरबार कटार खुँडा खुकुरी,
पिसतोल र बन्दुक सम्म भिरी।
अतिशूर – र – वीर – भरी नगरी,
छ त कुन्- सरि कान्तिपुरी नगरी।।
रिस राग कपट् छल छैन जाँहाँ,
तव धर्म कती छ कती छ याहाँ,
पशुका पति छन् रखबारि गरी,
शिवकी पुरि कान्तिपुरी नगरी।।