~मैथिल सुमन~
बहूत दिनक बाद आई एक टाs गजल बनल छै
टुटली मरैया चहूँदीस सज्जाकऽ महल बनल छै
अहाँक प्रितक वसन्त बहारक आगमनसँ प्रिया
साच्चे समुच्चा इ जीन्गी हमर सफल बनल छै
अनमोल प्रेमक बन्धन इ अपन नजि तें कहियो
भगवानक बनाओल अप्पन जोडी असल बनल छै
प्रेमक बगीयामे खिलल रहै जे सुन्दर गुलाब
अहींक प्रीतक सिञ्चनसँ प्रिय कमल बनल छै
गम्भीर,धीर आ स्थिर रहै जे सोझगर ई तन-मन
नेहक प्राप्तिसँ ‘हृदय’क जीन्गी चञ्चल बनल छै
-हृदय नारायण यादव(मैथिल सुमन)
धनगढीमाई-१०,श्यामपुर(सिरहा)
लहान-७,सिरहा
(स्रोत : रचनाकार स्वयंले ‘Kritisangraha@gmail.com‘ मा पठाईएको । )