~भिम बहादुर थापा~
कोसँग, खोल्यौ के बुझिन
बैंशमा पोल्यौ के बुझिन
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सार्थें कि सपनी तिमीलाई
घमण्ड घोल्यौ के बुझिन
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झार्थें कि जुन-तारा तिमीलाई
बित्थामा बोल्यौ के बुझिन
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पार्थें कि निशाना तिमीलाई
टारेर टोल्यौ के बुझिन।
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भिम बहादुर थापा
वासिङ्टन, अमेरिका।
(स्रोत : रचनाकारको ब्लगबाट सभार)