~छविलाल कोपिला~
सावन भादोके महिना । धान कहुँ गाम्हँर रहे, ते कहुँ फुटके बाला झुले । यहोंर डिह्वामे मकै अर्रायल् रहे । जब मकै खैना भर्याली हुइल् । डह्गिक–डह्गिक चिरैं आइलग्लाँ ओ मकै खाके सन्त्वाइलग्लाँ ।
चिरैनके अखवारी करक लग जीउबुझ्ना डिह्वक एक कोनवामे अँटवा बनाइल् । अँटवापरसे हिलाई मिल्न फुच्रहा नम्मा–नम्मा लस्री फेन नमाइल् ओ ओम्हें एक्ठो भैंसिनके बर्का ड्वङडोगियाँ घण्टा फेन झँुराइल् । टन्लेसे लस्रिक फुँच्रा फुरफुरसे करे ओ घण्टा ड्वङ–ड्वङसे बोले ।
जीउबुझ्नक् एक्ठो सयान छाई दुखनियाँ फेन रहिस् । ऊ अँटवापर बैठल् दिनभर गोंरी बिने ओ मकैक रखवारी करे । जब चिरै मकैमे बैठिँट् ते ऊ जोरसे ‘ह्वाह्–ह्वाह्’ कैह्के होह्लाए । होह्लैलोपर नै उरिस् ते ऊ हल्हिल्ले लस्री ताने । लस्रिक फुल्रा फुरफराए ओ घण्टा ड्वङ–ड्वङसे बाले । चिरै झझक्के पूँछ हिलैटी उर्जाइट् ।
डिह्वामे मकै किल नै, झमरामे झलर–मलर खिरा फेन फरल् रहे । दुखनियाँ दिनभर अखवारी करे ओ मकै बँचैले रहे । मुले, रातिक अखवारी केउ नै । रातके गाउँक छुट्टु सुवर मकैमे पैंठिँट् ओ मकै चापर पारके चल्जाइट् । ओहोंर चोर फेन खिरा चोराके लैजाइट् ।
जीउबुझ्ना कैयौं दिन ते सुरिनके लग फाँडा बनाइल्, कुछ दिन पाढी फेन लागल् । मुले, कौनो काम नै लग्लिस् । ऊ सुरिनके खैलक् मकै देख्के चुकचुकाए, मन दुखाए ओ हेरके चल्जाए ।
एक दिन एक्ठो झुक्का बनाइल् ओ डिह्वक् एक कोनवामे लैजाके गारदेहल् । झुक्का पैंरा लट्पटवाके मनैयाँहस् बनैले रहे । लठ्ठी दारके ओकर दुनु हाँठ बनाइल् । छुटी–मुटी डन्ठी दारके घेंचा बनाइल् । गोर ते पैंरके बन्गैलिस् । उहीहे अर्गोइना एक्ठो अर्गोनी फेन खोजल्, बाँसक मुना ।
एक घचिक परसे घेंचामे घ्वापसे फुटल् करुवा घलाइल् । ठिक्के मनैन्के कपारिक ओत्र । करुवक टोंटीक टिस्लोर नाक, तेल्हा कजरले आँख, मूँह ओ कुछ नम्मा–नम्मा मोंछ् फेन बनाइल् । झुक्कक् खुर्कलिया कपारीमे टुटल् छोपा ओर्हादेहल् । एक हाँठ काठक् चकचक्की लगाइल् मुँडार ओ दोसर हाँठ बसौंठा लठ्ठी फेन कक्राइल् ।
ओत्रेकिल नाही, फाटल्–फाटल् उबेनु झुलुवा, खैयर रंगके सुरुवाल ओ उँप्रेसे नम्पुँछिया भेगवा फेन पेह्राइल् । भेगवा हावा लागिस् ते बरेजोर फुरफराइस् ।
झुक्का दूरसे हेरेबेर यल् मनैयाँहस् बिल्गाए । लग्गेसे ठिक्के सोंगियाहस् । जीउबुझ्ना एकबेर गहिँरके हेरल् उहीहे । हाँसी लग्लिस्, हल्का मुस्क्याइल् । सायद आपन बनाइल् ऊ झुक्का सन्तोख लग्लिस ।
झुक्कासे ठोरिक दूर एक्ठो सेम्रा रहे । सेम्रामे सुग्गा, गिद्ध, फेचुङ्घ लगाके आउर चिरै फेन ठाँठ लगैले रहिँट् । सेम्रक एक्ठो डहियामे गुजरिया फेन बसेँरा लेहे । ऊ झोल्पट अँधार हुइस् ते डोन्द्रेमनसे निकरके आपन तेज लजरसे तरे हेरे । तरे मूँस, डुक्री, किरा, फटिङ्गा जौन देखे आपन आहार बनाए ओ पेट भरके आपन ठाँठेम चल्जाए ।
सदादिनिक नन्हेँ आझ फेन गुजरिया कपार निकारके तरे हेरल् । देखल् चम्चर्मौवाँ मुँडार ओ लठ लेले ठर्हियायल् मनैयाँ । ओकर साटो उर्गैलिस् । ऊ मनैयाँ कब जाई ते मैं आहार खोजे जैम् कैह्के बरे घचिक अस्रा हेरल् । मुले, झुक्का ओहाँसे टस्कना बाटे नै रहे । ऊ ओठ्ठेहें रैह्गैल् । गुजरिया निराश हुइटी सन्ध्ये आपन ठाँठेक बैठ्गैल् । आझुक रात अस्टे–तस्टे हुगैलिस्, भुख्ले सुटल् ।
गुजरिया झुक्का देख्के दुस्रा दिन फेन ठाँठेमसे निक्रे नै सेकल् । दिनके आउर चिरैनसे खोत्कवा पाइक् डरे निक्रे नै सेके । रातके झुक्का देख्के ।
जब भूँख पियास सटाइ लग्लिस् ते तिस्रा दिन ऊ हिम्मत कैके बाहेर निकरल् । डराइट्–डराइट् मनैयाँहे लग्गेसे हेरक खोजल् । तब जानल् कि ऊ ते झुक्का हो कैह्के । उहीहे लाज लग्लिस् ओ खुशी फेन । फट्फटैटी झुक्कक् कुम्हाँपर बैठल् ओ सुनाइल् ऊ आपन सक्कु वृतान्त । झुक्का ओकर कहानी सुनके मने–मने हाँसल्, कौनो प्रतिक्रिया नै देहल् । आझ गुजरिया आपन मनका पेट भरल् ओ ठाँठेम् जाके बैठ्गैल् ।
कुछबेरमे पर्चल् सुवर चर्मरैटी डिहवा ओर आइलग्लाँ । झुक्का डराइल्, का चाज आगैल् कैह्के । ऊ झकियाके हेरल् । एक बगाल सुवर आइट् देखल् । मुले, सुवर उहीहे देख्के ठकसे ठर्हिइलाँ । मुँडार ओ लठलेके ठर्हियाल झुक्का देख्के ओइनके हिम्मत नै अइलिन् । हेर्लां–हेर्लां आपन डग्गर लाग्गैलाँ ।
ओसिक ते आझ सन्झा गिडार ओकर पँज्रे आके एक्फाले अवाइलिस् । ऊ साटो जैनामेरके झस्कल् । बरे घचिक ओकर ढकढिउरी ठाउँमे नैआइलिस् । जब उहीहे भत्भेर्टी दौरट् कहँु लग्लाँ । तब ओकर औसान अइलिस ओ बरबराइल् । ‘कोर्ही गिडार, साटो खैनाहस कैठाँ ।’
रात ओकर लग बहुट अन्खोहर लागिस् । चिँगैरन रातभर गीत गाइट् । गीत कुछ चैनार कैलेसे फेन उहीहे चिँगैरनके गीत कन्फोर लग्ठिस् । दख्नक कड्मिक रुखवामे रातभर गह्डुल चेंच्चाइट् । ओइनके चेंचे–मेंमेसे ओकर रातभर नींद नै परिस् । जोग्नीनके प्लिक–प्लिक दीया बारट् भर उहीहे खोब मन पर्ठिस् ।
रात अन्खोर लग्लेसे फेन दिनभर ओकर मजासे बित्ठिस् । जब ओज्रार हुइठ् ते ग्यौंरी मकैक् धानीपर नच्ठाँ ओ ओकर कुम्हाँ, हाँठेपर बैठके गीत फेन सुनैठाँ । गीत खोब सुनठ् । जोग्नी ओकर पँज्रक फूलामे बैठ्के फुर–फुर, फुर–फुर नच्ठाँ । ओइनके नाच देख्के ऊ आउर चौकस हुइठ् । कुटरी ओ परेउनन्के घुटुर–घुटुर घुर्कट फेन खोब मन पर्ठिस् । मुरी हिला–हिला नच्लक नाच अभिन मन पर्ठिस् ।
मुले, झुक्काहे उहीसे ज्यादा दुखनियाँ मन पर्ठिस् । ठिक्केपर गोहर, ठिक्केपर धेङ, ठिक्के पाटिर, ठिक्के ठुल्ह । बत्तिसा लागल् दाँत, हाँसेरबेर पुन्वासी रात लग्ना दुखनियाँहे ऊ खोब हेरठ् । अँटवा चौर्हेबेर, उट्रेबेर ते आउर ज्यादा ख्याल करठ् । का करे कि उट्रे–चौर्हेबेर ओकर नँह्गक आगा फरकके उज्जर–उज्जर जाँघ बिल्गाइस् । ऊ जाँघ देख्के बहुट् रोमान्टिक हुइठ् ।
दुखनियाँ दिनभर आपन तार गोंरी बिने, झुक्का ओकर दिन भरिक काम हेरके चित बुझाए । एक दिन दुखनियँक सखिया गोहियन हहरैटी अँटवक उँप्पर चौर्हलाँ । सक्कु जाने बैठ्के कोई लन्गी, कोइ निमुवाँ निखोरे भिर्लां ते कोई खिरा फँर्चाई लग्लाँ । लन्गीक् वास हर–हरसे झुक्का फेन पाइल् । मुहेम्से थुकथुक्की छुट्लिस् । थूक घुटुर–घुटुर लिलल् । मुले, माँगे नै सेकल् ।
बठिनियन् आउर समय मनमे गुचुर–मुचुर रहल बात बट्वाई नै सेक्ठाँ । मुले जब आपन सखिया गोहियनसंगे बैठहीँ ते खुलके बत्वाइठाँ । आझ सक्कु जाने आपन–आपन मनरख्नन्संगेके प्रेम कहानी पालिक–पाला सुनैलाँ । झुक्का खोब रस लेके सुनल् । बरा रोमान्टिक कहानी । मुले दुखनियाँ आपन कुछ नै सुनाइल् । झुक्का मने–मने सोँचल् ‘सायद हिँकार आपन मनरख्ना कोई नै हुइन् । मैं बाहेक ।’
एक घचिक परसे बैसन बठिनियन, ऊ उहीहे गुड्गुडवइना, ऊ उहीहे । गुडगुड्वइना किल नाही ऊ ओकर, ऊ ओकर झपोसिक–झपोसा फेन करे लग्लाँ । खिटखिट्टी हाँसिक फोहरा छुटल् । अँटवा डगडगा उठल् । यहोंर झुक्का ओइनके सक्कु क्रियाकलाप बहुट रसगरके हेर्टी रहे । ऊ देख्के ठिठ्ठा मारके हाँसल् । मुले ओकर हाँसी कोइ नै सुनल् ।
यहोंर मकैमे एक धंगाल् सुग्गा आके बैठ्लाँ । दुखनियाँ होह्लाइल् ओ लस्री टानल् । लस्रिक् फँुच्रा फुरफुरसे करल् ओ घण्टा ड्वङ–ड्वङसे बोलल् । सुग्गा ‘तैं–तैंं, तैं–तैं’ कैटी चलागैलाँ । सबके ध्यान ओह्रे गैलिन् ओ सक्कु जाने चुपा गैलाँ । एक घचिक परसे उटरके ओइने आपन–आपन घरे ओर लग्लाँ ।
गुजरिया आपन आहार खोजे रोजदिन बाहर निक्रे । पेट भरिस् ते झुक्कक् कन्धापर बैठके देश–परदेश घुम्लक सुनाए । कबो खिसा सुनाए । कबो गाउँ घरके बात सुनाए । खिसा धेरहस् ऊ जलपरी, राजा–रानीनके सुनाए । ओकर बात सुनके झुक्का सम्झठ् ‘अप्ने यहोंर–ओहोंर जाइ नै मिलठ ते का ? सक्कु बात यहें सुने मिलठ् ।’ मन फेन सन्तोख करठ् ।
कबो गुजरिया आपन बुर्हापा जिन्गीक दुखिया कहानी फेन सुनाए । ऊ ध्यान देके सुने । ओ अप्नेहें गुनगुनाए ‘मोर फेन दुःख बा, मैं आपन दुःख किहीहे सुनाउँ, मैं बोल्हीं नै सेक्ठुँ । मोर दुःख के बुझी ?’
कबो–कबो झुक्कापर एक्ठो फेचुङ्घ बैठे आए । बरा फट्फुहर रहे फेचुङ्घ । कबो ओकर कपारीमे पिचसे हेग्दिस् । कबो हाँठेम् ते कबो झुलुवामे । आझ फेन ओकर कपारीमे बैठ्के आपन आहार चिटाइटा । ओहोंर बेन्हवाँमे कुक्लेंरवा ‘कुक्लेंर–कुक्लेंर’ कैह्के बोले । ओकर बोल सुनके झुक्का मने–मने ‘छिः अइसिन घिनाहुन बोल्टा ।’ कैह्के बरबराइल् ।
यहोंर फेचुङ्घ पिचसे ओकर कपारिक हेग्देलिस् । गुह् डनियाके ओकर मूँहसम्म आपुग्लिस् । ‘उःहु’ कटी मूँह बाँक कैल् । ओ बरबराइल् । ‘यी कोर्हिया करिकवा, जहाँ पाई ओहैं पिच–पिच लगैले रहठ् ।’
सायद, यी सब देख्के मकैम् फुद्रुक–फुद्रुक उलर्टी रहल् फुडिया ‘ठीक–ठीक’ कैह्के उहीहे टिहुवइटी रहे । झुक्काहे आउर रीस लग्लिस् । ‘सारन कस मुना लगादेम्, ठौंही झम्¥या जैबो ।’ बरबराल् अप्ने–अप्ने । मुले, ओकर ठन लठ्ठी उठैना बल नै रहिस् । ऊ गुनगुनाइल् किल् ।
आझ दुखनियाँ अखोरी नै आइल् । उहीहे नै देख्के झुक्काहे सुनसान लग्लिस् । ऊ बरे घचिक अश्रा हेरल् टब्बो नै अइलिस् । कुछबेरमे एक बगाल् सुग्गा आके मकैमे बैठ्लाँ ओ मकैक् चोंइटा निखोरके किम्होंरे लग्लाँ । झुक्का ओइनहे देख्के हट्पटाइल् । मने–मने खोब होह्लाइल् फेन । मुले, ओकर बोल् सुग्गा सुन्लाँ कि नै ऊ पट्टे नै पाइल् ।
एक घचिक परसे मकैमे चर्मरैटी दुई–तीनठो लर्का अइलाँ । ओइने ओक्रे आगे खिरा टुरे लग्लाँ । खिरा चोराइट् देख्के ढेबर लप्लप्वइटी बोलल् । ‘अरे ! कोर्हियौ, का आनक खिरा चोराइटो रे । तुहिनके बाबक कमाही हो, आपन मनका टुरा टो ?’ ओइने ओकर बोले नै सुन्लाँ । उल्टे कोइ, उहीहे लटियाके गैलाँ ते कोई मुक्का मारके । ऊ हटल् गिद्धहस् हेरके रैह्गैल् । कुछ नै उँखारे सेकल् ।
दोसर दिन दुखनियाँ ठनिक ज्यादा सँपरके आइल् । झुक्का उहीहे जिन्गीमे पहिल बार अइसिके सँपरके आइल् देख्ले रहे । ओसिक ते ऊ बिना सँपरल् जोन्हियाँहस् सुग्घुर रहे । सँप्रलमे ते आउर ऊ ठिक्के अप्सरा हस् ।
ऊ अइटी किल खर्खरैले उँप्पर चौर्हल् हाँठेम् मोत्री लेले । ओकर पाछे–पाछे एक्ठो लवन्डा मनैयाँ फेन चौर्हट् देखल् झुक्का । कब्बो नै देखल् लवन्डा, उहीहे भ्रममे परलहस लग्लिस् । मुरी झित्कारके ठनिक गहिँरके हेरल् । दुखनियाँ ओकर हाँठ पकरहे उँप्पर टन्टी रहे । ऊ लवन्डा देख्के ओकर मन जूर हुगैलिस् ।
हेर्टी–हेर्टी दुनु जाने एक दोसरहे आपन दुठाहा खवाइक–खवावा करेलग्लाँ । कबो ऊ ओकर गाल, ते कबो ऊ ओकर गाल चुमिक–चुमा करट् ऊ आपन आँखिक आँख देखल् । असिन ऊ जिन्गीमे कब्बो नै देख्ले रहे । जब लवन्डक हाँठ ओकर बक्षस्थलसम पुग्लिस् ते ओकर अंग सिरिङसे कैलिस् । उहीहे अप्नेहें लाज लग्लिस् । टब्बो ऊ हेरल् मसोरा–मसोर, आउर …..।
ऊ सम्झल् टप्की बठिनियनके सुनाइल प्रेम कहानी । आझ दुखनियँक असली कहानी फेन देखल् । जिहीहे ऊ आपन सम्झले रहे । उहीहे आपन आँखिक साम्ने असिन देख्के ऊ टपसे आँस चुहाइल् । सुनुक–सुनुक कैटी सुस्करल् फेन ।
रात हुइल् । सदा दिनिक नन्हें चिंगैरनके चिंचिं सुनके कपार फुटेहस् लग्लिस् । जोग्नीनके प्लिक–प्लिक फेन मन नै पर्लिस् आझ । मनमर्ले झोँक्रल् रहे । एक बगाल सुवर घुई–घुई कैटी मकैहा डिहवा ओर आइलग्लाँ । सुवर आझ झुक्कक् कौनो वास्ता नै कैलाँ । अइटी कि मकै च¥याक–म¥याक कैटी चर्हे लग्लाँ । झुक्का फेन कौनो प्रतिक्रिया नै देहल् । मने–मने बरबराइल् ‘खाऊ, जठेक सेक्बो ते खाऊ, यी मकै तुहिनके फेन ते हो ।’
सायद, आझुक दिन झुक्कक् बहुट बेखुसमे बित्लिस् । ऊ बहुट निरास रहे । झोल्पट् अँधार हुइल् । गुजरिया तरे उट्रल् । झुक्काहे बहुट निरास देखल् । आपन संघरिया निरास देख्के ऊ पुँछल् । झुक्का सक्कु आपन वृतान्त सुनाइल् ।
आखिर झुक्कक बात सुनुइया के रहिस् । उहे एक्ठो गुजरिया किल् ते । कौनो दिन झुक्कक कारणसे तीन दिनसम भुख्ले मुलेसे फेन अस्कल सबसे लग्गेक् संघरिया उहे झुक्का हो । गुजरिया कौनो दिन बेखुस मन रहल समय आपन विटल् दिनके कहानी सुनाए ।
आझ आपन संघरियक् दुःखमे मन चौंकस कराइक लग आपन प्रेम कहानी सुनाइल् । वास्तविक कहानी, बहुट रोमान्टिक कहानी । ओकर कहानी सुनके झुक्का आउर बात सब बिस्राके मन खुस हुगैलिस् । गुजरियइहे झुक्का चौंकस् देख्के ओक्रो मन चौकस् लग्लिस् । ऊ कन्धापर फट्फटाइ ओ उरके आपन ठाँठेम् चल्गैल् ।
बिहान हुइल् । दुखनियाँ फेन आपन गोंरी बिन्न, पूँजा, कसुङ्गा ओ अच्करे गोंरी लेके अँटवापर चौर्हल् । सदादिन देख्के मन लल्चैना दुखनियाँ । झुक्का आझ उहीहे ओत्र सुग्घर नै देखल् । सोझ लजरसे फेन नै हेरल्, घुँरेर–घुँरेर हेरल् । आउर दिनिक नन्हें ओत्र वास्ता फेन नै कैल् ।
समय बिटट् गैल् । मकै पाकल् । जीउबुझ्ना डिह्वक सक्कु मकै टुरल् । डिह्वा मैदान हुगैल् । डह्गिक–डह्गिक अइना चिरै फेन आइक छोरदेलाँ । ग्यौंरी, फेचुङ्घ, कुक्लेंरवा, फुडिया फेन नै आइ लागल् । उहीहे आउर सुनसान लागे लग्लिस् । रातके गुजरिया खिसा सुनाके साथ दिस् ओ रात मजासे बिटाए । मुले, दिन हुइटी कि बैराग लागिस् ।
एक दिन भारी आँधी वयाल आइल् । झुक्का लग–लग, थर–थर करल् । अक्के घचिमे ओकर कपारीमे ओर्हैलक् छोपा उराके लैगैलिस् । हेर्टी–हेर्टी कपार उजारके भुइयामे ठच्कोसे फोरदेलिस् । ऊ बिना कपारिक हुगैल् । टब्बोपर वयालसे प्रतिकार करक लग कैयौं चो मुँडार फनफनवाँइल्, हाँठक् लठ फेन हप्लाइल् मुले कुछ करे नै सेकल् ।
कुछबेर मुँडार ओ लठ फेन अँछोरके बगा देलिस् वयाल् । उहीहे भुइयाँमे घुँचेट्लिस् । कैयौं गँरबिल्टी खेला देखिस् । बिचारा ! झुक्का ठौंही घुस्मुरल् रैह्गैल् । ओकर ओंहे मौत हुगैलिस । मौत पाछे गुुजरिया फेन अक्केली हुगैल् । अक्केली बैठ्नास नै लाग्के ऊ फन यी दुनियाँ छोरके छुट्टे दुनियाँमे चल्गैल् ।
(स्रोत : हिरगर साहित्यिक बगाल)