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थारू भाषी कथा : सिरुवा

~शेखर दहित ‘कालिका’~ जिम्दरुवक सिरुवम कंगलु आपन नाउसे ध्यार सराङ्गया कैख चिहिन्जाइठ। बाँसहस स्वात्तसे ढेङ्ग, भौकाहस कान छोपल झब्ल्यार कपार, सद्द ठोरचे लिहुर्रल रहथ। एक पाख्म बडामुश्किलसे एक फ्यारा लहैना दखिनघरान कुवम पनभर्निन ओकर करङ्ग ओ सुखल पुठ्ठा देख्क हँस्ना … Continue reading

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