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थारू भाषी गजल : प्यार नुकैबु मै कैसिक्

~सलिना कुमारी चौधरी~ जब भोजक बाट हुइ,घरम प्यार नुकैबु मै कैसिक् आई कोइ लेहे महिन्,ओकर साथ जैबु मै कैसिक् टुह्ँ टो खुल्के प्यारके एक्रार करे निसेक्लो टो अब आपन ओ टुहार घर परिवार हिन् बटैबु मै कैसिक्

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थारू भाषी गजल : आइहो बरात लैके

~सलिना कुमारी चौधरी~ टुँह् डुल्हा मै डुल्ही बनम आइहो बरात लैके सज् ढज्के डोलिम् बैठम आइहो बरात लैके टरेसे लैके उप्पर सम्म हर तरफ् टुहार नाउसे सोह्रा  सृंगारम  मै  सजम आइहो बरात लैके

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