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मैथिली कविता : बापक ब्यथा

~रंजित निस्पक्ष~ केहन निर्लज तों भेले ओली, बापक नाम हँसेले रै ! केहन बंशमें जन्म भेलौ तोहर, खन्दानक नाम घिनेले रै ! बढ घिर्णित हम भेनौ ओली, जे जन्म देलियौ हम तोरा रै ! अई स बरहिंया निपुतरे रहितौं, नै … Continue reading

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