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भोजपुरी गजल : इ नेपाल हऽ

~दिपेन्द्र सहनी~ इ नेपाल हऽ इहाँ कागज मे बिकास होला। गाछ बृक्ष काट के जंगल के विनाश होला। पइसा के आगे तऽ चौकीदार भी आन्हर, चौकी के सामने से माल वाइपास होला।

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