Tag Archives: Birkalin Kabita

वीरकालीन कविता : जनरैल खसम प्रभु !

~सुन्दरानन्द बाँडा~ बलिया हाकिम्ले बल मिचि लियाका सहि भया कहाँ पाऊँ नीसाप् जनरलविना भूमिभरमा । प्रभु स्वामीजीका धरममय अर्द्धागंमुरुती दुनीयाँका स्रेस्ता दुनिञसित राख्न्या धरमी हुन् ।।१।।

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वीरकालीन कविता : आशा-नदी

~सुन्दरानन्द बाँडा~ साहेब अर्जि सरण् परोस् मनमहाँ दुःखी गरिप् दीन हुँ ग्राहारुप दरिद्सैं मकन ता उद्धार्गरीबक्सन्या ।। जस्तै श्रीहरिले गजेन्द्रवरलाई ग्राहा छुटाइदिया दुःखी सो गज ता चतुर्भुज भई वैकुण्ठवासी भयो ।।

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वीरकालीन कविता : फिरंगानते फिरंगी

~पृथ्वीनारायण शाह~ फिरंगानते फिरंगी सुनो कास्‌मिली … … … माजिंके बगल्मै इताएके एता गुमान् तेरा है ।। एक्‌ते … … … … … … … … … … … … गंगुल् उहर्वेगोल् तुन्द्रे रजफ् तौने नही टेरा है ।। दुरिवा … Continue reading

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वीरकालीन कविता : बाबा नरभूपाल साहकि दुहाई

~पृथ्वीनारायण शाह~ आज मेरा सपनामा येक चंद देष्याँ २ हातिका चाल लसक् ३ घोडाका चाल बुरुक् ३ ।। ऐसा त खुपू सुंदरी जल जमुनाका नीर तीर मैं कानका लोती तरक् ३ ।। ऐसा त खुपू चूनरि पामरि फरक् ३।।

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