Category Archives: बज्जिका रचना

बज्जिका गजल : भार सहजतई ऊ !

~सञ्जय साह मित्र~ विजयजी, तोहर भार सहजतई ऊ ! विजयजी, तोहर मार सहजतई ऊ ! तोहर डाँटसे ही लोग डेरालई खुब विजयजी, तोहर झार सहजतई ऊ !

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बज्जिका लघुकथा : वातावरणके भोज

~सञ्जय साह मित्र~ मुखियाजी वातावरण दिवस मनएलन । प्रमुख प्रशासकीय अधिकृत, उपप्रमुख, प्रमुख सभी मिलके वडा कार्यालयमे थाला रोपलन । सयकडो लोग फोटो खिचलक । सामाजिक संजालमे अपलोड कएलक । कुछ पत्रकारके भी समाचार मिलल । वातावरण दिवसके खूब निमन … Continue reading

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बज्जिका कविता : समयके पुकार

~सुनिल प्रसाद यादव~ उठ तु अब अठ कथि जिअई छे, एगो जिन्दा लाशके जईसन एसे त मरले अच्छा हऊ अपना माटीके लेल कमाएल,खाएल,पिअल आ सुतल हि जिन्गी न हई

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