~सञ्जय साह मित्र~
विजयजी, तोहर भार सहजतई ऊ !
विजयजी, तोहर मार सहजतई ऊ !
तोहर डाँटसे ही लोग डेरालई खुब
विजयजी, तोहर झार सहजतई ऊ !
ऊ युद्धके लालसा रखलेहई किदो
विजयजी, तोहर वार सहजतई ऊ !
शत्रुके शत्रु आ मित्रके मित्र छा तू
विजयजी, तोहर हार सहजतई ऊ !
की मतलब तोरालमन तेज बनेके
विजयजी, तोहर धार सहजतई ऊ !
– मित्रनगर, गरुडा नगरपालिका ४, रौतहट