बज्जिका गजल : भार सहजतई ऊ !

~सञ्जय साह मित्र~

विजयजी, तोहर भार सहजतई ऊ !
विजयजी, तोहर मार सहजतई ऊ !

तोहर डाँटसे ही लोग डेरालई खुब
विजयजी, तोहर झार सहजतई ऊ !

ऊ युद्धके लालसा रखलेहई किदो
विजयजी, तोहर वार सहजतई ऊ !

शत्रुके शत्रु आ मित्रके मित्र छा तू
विजयजी, तोहर हार सहजतई ऊ !

की मतलब तोरालमन तेज बनेके
विजयजी, तोहर धार सहजतई ऊ !

– मित्रनगर, गरुडा नगरपालिका ४, रौतहट

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