बज्जिका लघुकथा : वातावरणके भोज

~सञ्जय साह मित्र~

मुखियाजी वातावरण दिवस मनएलन । प्रमुख प्रशासकीय अधिकृत, उपप्रमुख, प्रमुख सभी मिलके वडा कार्यालयमे थाला रोपलन । सयकडो लोग फोटो खिचलक । सामाजिक संजालमे अपलोड कएलक । कुछ पत्रकारके भी समाचार मिलल ।

वातावरण दिवसके खूब निमन प्रतिवेदन तैयार होगेल ।

सब अतिथि लौटगेल । कुछ देरमे तनिकादेर पहिलेके रमझम शून्य होगेल । भल रोपल थाला सब टुगर होगेल । केनहुसे कौनो तनिका पानी पटादी कहके थाला सब छटपटाए लागल । छटपटएलासे हिलइत देखके कौनो कौनो आनन्दित भेल अनुमान कएलक ।

एगो खसी एकके बाद दोसर थालाके फुन्ची चिबबइत उखारे लागल । सभी थाला सखाप होगेल । कौनोके सोरसमेत चिबागेल त कौनो सोर मात्रे उँहमे भुइँआमे जमिनपर पछराएल गिरल । सभी थाला स्वाहा होगेल ।

मुखियाजीकिहाँ खबर गेल । वडा कार्यालयके सहायक खसीके बान्हके मुखियाजीकिहाँ पुगएलक । खिससे चुर मुखियाजी निर्देशन देलन ः एकर तत्काल बध कर ।

कुछ देरमे मुखियाजीकिहाँ पुगके उपलब्ध अतिथि लोग लोकल खसीके सबदगर सगौतीसहित वातावरण दिवसके भोज खाएला पुगल । भोजके गोएँगाएँ अबेरतक चलइत रहल ।

– मित्रनगर, गरुडा नगरपालिका ४, रौतहट

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