~सुधा मिश्र~
हमरो निंद कहाँ?
जागल रहलौ अँहा तँ हमरो निंद कहाँ ?
व्यक्त कलैछी अँहा हमरा शब्द कहाँ?
बिन डोरेके कसल इ मजगुत गिरह
बिनु अँहाके धडकने हमरो साँस कहाँ?
स्वर्गक अनुभूति भेल
अन्हरिया रातिमे चानक प्रवेश भेल
समागम सँ रोमरोम पुलकित भेल
नहि कुनो आश ने सेहन्ता रहल शेष
सँगमे हुनकर स्वर्गक अनुभूति भेल
छियौ बस तोहर
बुदुर पाईयो लगैय मोहर
सजिगेल हृदय माझ कोबर
सुनलौ जखन सँ हुनक कहब
दुर रहु या लग छियौ बस तोहर
मोन जीत चलि जाइय
किछुए घरीमे केउ मोन जीत चलि जाय
छाप अपन उमर भरलेल छोरि जाइय
छोरिक गेल सुखद मनोहर अनमोल पल
सदैब नव उर्जा बनि जीवनमे मुस्काइय
सुधा मिश्र
जनकपुरधाम-४,धनुषा
प्रदेश न २,नेपाल
(स्रोत : रचनाकार स्वयंले ‘Kritisangraha@gmail.com‘ मा पठाईएको । )