अनूदित कविता : पुरुषसँग बचेँर रहनु

~वीरेंदर भाटिया~
अनु : सारिका श्री

सबै बालिकाहरुलाई निर्देशन छ
पुरुषसँग जोगिएर हिंड्नु
पुरुषसँग भलाकुशारी नगर्नु
उनीहरुको नियतमाथी सदैव शंका गर्नु

कुनै पुरुषले तिमीसँग
भलाकुशारी गर्ने
प्रेम जताउने
स्नेहले कपाल सुम्सुमाउने
कोशीस गरेछ भने
चुपचाप त्यहाबाट भाग्नु
या हल्लाखल्ला मच्चाउनु

कडा निर्देशन छ बालिकाहरुलाई कि
साझ नढल्दै घरभित्र कैद हुनु
स्कुलबाट छुट्टी हुनासाथ सिधा घर फर्कनु
बाहिर कतै जादा एकअर्कोको साथ रहनु
एक्लै कही कतै नजानु

सबै बालिकाहरुलाई निर्देशन छ
कुनै पनि पुरुषलाई विश्वास नगर्नु
पिता-दाजुभाइ आदी रगतको नाता भए त ठिकै छ
तर अन्यसँग कुनै नाता नजोड्नु
र रगतको नाता बाहेकका
अरु नातालाई विश्वाशले नसिच्नु

तर अफसोस,
अधिकांश पुरुषले सुनेनन यस्ता निर्देशन
किनकी यि मौलाई रहेका छन
महान संस्कृतिको व्याख्यानहरुमा
पौराणिक चरित्रहरुको महिमागानमा

संस्कृतिका स्व-घोषित संरक्षकहरु
चरित्रका ठेक्का बोक्ने ठेकेदारहरु
धर्म स्तुतीका वाचकहरु
ब्रह्मचार्यका अनुपम-अनुकरणिय खोजका खोजदारहरु
सुन,

सुन बालिकाहरुको डर
कि यो महान सांस्कृतिक मुलुकमा
बालिकाहरु किन डराई रहेका छन पुरुषसँग
बालिकाहरु जती
भुतको चलचित्र, बाघ-भालु, स्याल-ब्वासोसँग डराउदैनन
त्यती डराउछ्न आजकल पुरुषसँग

साङ्लो साङ्लोले जकडिएको संस्कृतिमा
शिरदेखी पाउसम्म ढाकेर सुरछित हुने प्रयोग
फेल खायो शायद
त्यसैले,

बालिकाहरुलाई दिने निर्देशनलाई
फेरी एकपटक
त आँखा उघारेर
कान खोलेर
पुरर्लेखन गर !
हे महान मनुष्यहरु हो


मूल रचना: पुरूष से बच कर रहें

सभी बच्चियों को निर्देश है
पुरुष से सम्भल कर रहें
पुरूष से बात ना करें
शक करें उनपर

जब भी कोशिश करे पुरूष
बात करने की,
प्रलोभन दे
प्यार करे
बाल सहलाये
चुप्प से निकल लेना वहां से
शोर मचा देना नही तो

सख्त निर्देश हैं बच्चियों को
कि शाम ढले घर मे कैद हो जाएं
स्कूल जाएं तो सीधे आएं घर
बाहर जाएं तो साथ रहें एक दूसरे के
अकेली ना रहे कहीं

सभी बच्चियों को निर्देश हैं
किसी पुरूष पर यकीन ना करें
पिता-भाई खून के रिश्ते के हैं तो ठीक
अन्य कोई रिश्ता ना बनायें
ना करें भरोसा किसी भी गैर खून के रिश्ते का

किसी पुरूष ने मगर
नही सुने ऐसे निर्देश
वे बौरायें हैं महान संस्कृतियों के व्याख्यान में
पौराणिक चरित्रों के महिमागान में

संस्कृति के अलम्बरदारों
चरित्र के ठेकेदारो
धर्म स्तूतियों के वाचकों
ब्रह्मचर्य के अनुपम-अनुकरणीय खोज के खोजदारों
सुनो
सुनो बच्चियों का डर
कि इस महान सांस्कृतिक मुल्क में
बच्चियां डर रही है पुरूष से
बच्चियां डर गई हैं पुरुष से
बच्चियां हॉरर, शेर, भेड़िये से इतना नही डरतीं
जितना डरती है वह पुरूष से इनदिनों

पैबंद जड़ी संस्कृतियों से
सर से पांव तक ढक दिये जाने के प्रयोग
अब बहुत हुए

बच्चियों को दिए गए निर्देश पर
अब तो कान धरो
हे महान मनीषियों

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