मैथिली गजल : नहि कहु चान हमरा

~सुधा मिश्र~

नहि कहु चान हमरा दाग सँ कलंकित छै
दिय नहि मान हमरा दान सँ कलंकित छै

देख लिय मोन भरी जतेक देख सकी अँहा
दिव्य रुपक काँया परान सँ कलंकित छै

वरसा दिय खुलिक सिनेह दुलार सबटा
जगमे एक प्रितेटा नाम सँ कलंकित छै

नुकाचोरी छुपिछुपि नयनके ईशारा विभोर
हृदयक तरंगित गीत भान सँ कलंकित छै

आँजुर भरि लुटाउ खाली नहि हायत झोरी
उमरल प्रेम कोना ?अज्ञान सँ कलंकित छै

सुधा मिश्र
जनकपुरधाम-४,धनुषा
प्रदेश न २,नेपाल

(स्रोत : रचनाकार स्वयंले ‘Kritisangraha@gmail.com‘ मा पठाईएको । )

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