~सुधा मिश्र~
भुलि नई सकैछी ने कहके आँट रखैत छी
मोन ही मोन सही बहुत याद करैत छी
व्याकुल होइछी जखन देखलाय सुरतके
अँहाके डि.पी. के जुम कय कअ देखैत छी
जहिया सँ सँग अँहाके सिनेह जुडल
कि बुझबै?अपनाके कोना सम्हारि रखैत छी
कि चिज होइत छै इ सिनेह नहि जानि?
मुस्किल धीर राखब तैयो धीर रखैत छी
कहियो त भिजब ?अहि बताहिके नेहमे
उम्मीदके किरणके जगमगाक रखैत छी
सुधा मिश्र
जनकपुरधाम-४,धनुषा
प्रदेश न २,नेपाल
(स्रोत : रचनाकार स्वयंले ‘Kritisangraha@gmail.com‘ मा पठाईएको । )