~विनीत ठाकुर~
१.
ज्ञान उपर
अहंकारक पर्दा
जीवन नष्ट ।
२.
विशुद्ध प्रेम
आदान–प्रदान सँ
मोन मे शान्ति ।
३.
साफ हृदय
जन उपकार सँ
मोन मे शान्ति ।
४.
कर्मयोग सँ
पाथर मे कमल
फूलाबे ज्ञानी ।
५.
अहित भाव
अभिमान त्याग सँ
जग मे शान्ति ।
६.
उच्च विचार
शुद्ध आचरण सँ
जन कल्याण ।
७.
विनु आशा के
वास्तविक सेवा सँ
पुन्यक प्राप्ति ।
८.
टटका भात
अनुप माड़ संग
जीवन रक्षा ।
९.
विश्वास अछि
उजड़ल घर के
बड़का शक्ति ।
१०.
देखी लोक के
अपने विचार सँ
सुखी आ दुखी ।
मिथिलाक्षर ( तिरहुता लिपि ) मे सेहो :
मिथिला बिहारी नगरपालिका
मिथिलेश्वर मौवाही – ३
प्रदेश नं. २, धनुषा
(स्रोत : रचनाकार स्वयंले ‘Kritisangraha@gmail.com‘ मा पठाईएको । )