~सुधा मिश्र~
किया अतेक उदास अतेक बिचलित अछि इ घरी
हमरा लेल त एहन क्षण एहन पल छल सर्वोपरि
किछु दिनक लकडाउन किया लगैय मृत्युु समान
जिनगीए छल लकडाउन कहाँ केलियै हम अपमान
गुमान छल देखबैत छलौ छी ताकतवर धनी
कहाँ गेल सबटा अक्कड ? सम्हैर जाउ आबो कनी
इ महल इ अटारी कतक गेल इ मोटर इ गाडी?
देखा देलक नहि ओकात इ नहि चिज कुनो भारी
भुझि गेल होयब किछु नहि इ मान सम्मान पथमे
दोसरे मनुष्य जाक नुकायल छी अँहु अपन घरमे
तुक्ष छी अति सुक्ष्म छी हम अँहा अहि विराट जगमे
चलु मिलि बहाबी अमृत धार मिटा अहंकार मनमे
सुधा मिश्र
जनकपुरधाम-४,धनुषा
प्रदेश न २,नेपाल
(स्रोत : रचनाकार स्वयंले ‘Kritisangraha@gmail.com‘ मा पठाईएको । )