मैथिली कविता : प्रीत वर्षारहल गगन

~सुधा मिश्र~

नहि करु अँहा अतेक गुमान
तौलु नहि धन सँ अपन इमान

खेत पथार भरल बखारी
सँजोगि करब कि महल अटारी?
जुडाउ किछु कनि अपनो जियाके
मुनिक नयन दुनु सुनु हियाके

रक्टा काँयाके कायल मोती ढेर
गुरिक जायत दोसर देश
स्वच्छ मोन छै अनमोल रत्न
मस्त भय नाचु पहिर वसन्त

प्रीत वर्षारहल अछि गगन
भरिलिय झोरी होउ मगन
सभकेउ अपन सभकेउ मीत
इहे छैक अदभूत जिन्गीके रीत

सुधा मिश्र
जनकपुरधाम-४,धनुषा
प्रदेश न २,नेपाल

(स्रोत : रचनाकार स्वयंले ‘Kritisangraha@gmail.com‘ मा पठाईएको । )

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