~दिपेन्द्र सहनी~
इ नेपाल हऽ इहाँ कागज मे बिकास होला।
गाछ बृक्ष काट के जंगल के विनाश होला।
पइसा के आगे तऽ चौकीदार भी आन्हर,
चौकी के सामने से माल वाइपास होला।
लेजाये वाला गांजा लेके बोर्डर पार हो जाला,
आम आदमी के झोरा कय बेर तलाश होला।
करोडो से बजेट घोंट के केकरो पेट ना भरे ,
केकरो नुन रोटी से पेट फुल के कपास होला।
आपना से तऽ पचीसो % निमन काम ना होई,
केहु कर देवे त बुराइ खोजे वाला पसाच होला।
घुम घुम के जे ज्ञान बाटे कि दारु मास छोड दऽ,
सुननी हऽ कि ओकरे घरे रोज जुवा तास होला।
जे चुपचाप सब कुछ देखता उ आदमी सही बा,
गलती से केहु खोजलख उहे चोर बदमास होला।
दिपेन्द्र सहनी
धोबिनी गाँपालिका-५ पर्सा
हाल : बिरगंज,पर्सा
(स्रोत : आपनवीरगंज डट कम)