थारू भाषी गजल : भुवा बनगील

~मेन्जावीर चौधरी~

धिरेधिरे आगी बरल भुवा बनगील ।
टिपटिप आँश झरल कुवाँ बनगील ॥

जनचेतना से बञ्चित मोर प्यारा गाऊँ
झनझन जाँड पिके मदुवा बनगील ।

विधुतीय तार जैसिन तुहार जवानी
करेन्ट से दिल जरल धुवाँ बनगील ।

अलपत्रे जिऊ देखैना हेरो यी जमाना
जब से का तापी हस झुलुवा बनगील ।

अन्धार बा बात्ती बनाऊ और तेल नानो
दिया खोजो मोर जिन्दगी रूवा बनगील ।

– मेन्जावीर चौधरी
हसुलिया-९, कैलाली

(स्रोत : थारु गजल फेस्बुक पेज)

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