~विनीत ठाकुर~
१)
वन–जंगल
प्रकृतिक श्रृंगार
विनाश रोकी ।
२)
पाकल लीची
घेरल छै जाल सँ
कौवा के घोल ।
३)
चितवन मे
एक सिंहक गैड़ा
धन्य निकुञ्ज ।
४)
कोइली गावे
महुवा के डारि पऽ
वासन्ती राग ।
मिथिलाक्षर ( तिरहुता लिपि ) मे सेहो :
मिथिलाक्षर (तिरहुता) दुनु लिपिमे प्रकाशित कृति ‘वसुन्धरा’ हाइकु संग्रह सँ साभार
विनीत ठाकुर
मिथिलेश्वर मौवाही–३, धनुषा
(स्रोत : रचनाकार स्वयंले ‘Kritisangraha@gmail.com‘ मा पठाईएको । )