~विद्यानन्द वेदर्दी~
मधुरी पियार भेटैए हमरा गामेमे
खूशी अपार भेटैए हमरा गामेमे॥
दलान,खेत-खरिहान,चौरी चाँचर,
अंगना दुआर भेटैए हमरा गामेमे॥
लदी,बाध,फूलबारि,थान,इनार,
पोखरि महार भेटैए हमरा गामेमे॥
माल जाल,गोबर करसी,गठुला,
भूसी पुआर भेटैए हमरा गामेमे॥
चाँस-सम्हार,रोपनी,कटनी,खटनी,
कदवा गजार भेटैए हमरा गामेमे॥
बाबू जीके डाँट फटकारेटा कहाँ?
माएक दुलार भेटैए हमरा गामेमे॥
नड़्गोटिया, बगरिया, मिता, यार
दियाद हजार भेटैए हमरा गामेमे॥
शिरूवा,चौरचन,छठि,इद,फगुवा,
दश्मी तिहार भेटैए हमरा गामेमे॥
डोम,जादव,मिया,मुसहर,सरदार,
सभ एकाकार भेटैए हमरा गामेमे॥
स्कूल,हॅस्पिटल,बिजली कि नहि?
सहर सँ बजार भेटैए हमरा गामेमे॥
नव निर्माण करियौ ‘विद्यानन्द’,
सगर संसार भेटैए हमरा गामेमे॥
– विद्यानन्द वेदर्दी
२०७४\०१\२४ (रवि दिन)
(स्रोत : अप्पन जनकपुर धाम)