~भिक्षु ज्ञानमेधी~
कुत्तै राहा कान मगर जति पाइन्ग्न कनुंग लाम
डाडा र भाटा छानार मजेयोसा कानुंग ईम !!
वाहुन कै कनकी अग्यनंग न भुलदिया
मगर कोलक हिन्दु ति देयार नामसिन न मुलदिए!!!
फ्होकुंग कुरा सेयारा काने लोहो धर्म डस्लेसा
सुद्ध छन् कि घेतो(गाईको) र्होस कसार कनकी वाक्कन खस्लेसा !!!!
मितालुंग टोपी दुन्न वाहुने मिखुतायंग झोरक्च
मगर डेकी कारम सेम मगर को हि छानच !!!!!
प्रचार जाटिंग भाषा, लिपि,धर्म पट्टाको सोवारा
जिवाक्न डै लिपि, भाषा, धर्म मादुप्ले लोवारा !!!!!!
धेरै छाना अव च पईन्ग न कानुंग लाम
कानुंग धर्म बुद्ध न आले शान्ति नै कानुंग लाम!!!!!!!
माहोइंग लाफा को हान मात्रै गार लफंगा छान्ने कान
माउइन्ग लाफा को सोझो छान्न केयोटिंगन कानुंग शान!!!!!!!!!
– नाम मगर “भिक्षु ज्ञानमेधी”