थारू भाषी गजल : प्यार नुकैबु मै कैसिक्

~सलिना कुमारी चौधरी~

जब भोजक बाट हुइ,घरम प्यार नुकैबु मै कैसिक्
आई कोइ लेहे महिन्,ओकर साथ जैबु मै कैसिक्

टुह्ँ टो खुल्के प्यारके एक्रार करे निसेक्लो टो अब
आपन ओ टुहार घर परिवार हिन् बटैबु मै कैसिक्

टुहार चाहत और यादसे,#भरपुर जो मोर दिल बा
अब नया जीवन संघर्या,ई दिलम बैठैबु मै कैसिक्

नयन हिन् लहैना,आदत जो बाटिस आँसके ढार्से
टुही बटाउ न अब,आँखिम कज्रा लगैबु मै कैसिक्

न टो डुबे सेक्ठुइ,न किनार लागे सेक्ठुइ अब हाम्रे
उठल जिन्दगिम अब ,,उ आँढिसे बचैबु मै कैसिक्

सलिना कुमारी चौधरी
मगरगाडी ४ गुलरा#बर्दिया

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