थारू भाषी गजल : आइहो बरात लैके

~सलिना कुमारी चौधरी~

टुँह् डुल्हा मै डुल्ही बनम आइहो बरात लैके
सज् ढज्के डोलिम् बैठम आइहो बरात लैके

टरेसे लैके उप्पर सम्म हर तरफ् टुहार नाउसे
सोह्रा  सृंगारम  मै  सजम आइहो बरात लैके

लैजाकेआँङ्गनाम् डोली पार्के खुब् जोर्से गाँठ्
टुँह् आघे२ मै पाछे२घुमम आइहो बरात लैके

टुहाँर डिल्के सिहासन्म बैठ्के बिराजमान कर्के
टुहाँर  मनके मै रानी  रहम आइहो  बरात लैके

मोरिक सरिरम अन्टिम् साँस् रहट सम्म  टुहाँर
सङ्ग_सङ्गे  हाँसाम्  खेलम् आइहो  बरात लैके

सलिना कुमारी चौधरी
मगरगाडी ४ गुलरा#बर्दिया

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