~उत्तम भट्ट ‘विवेक’~
छुट्टै बसी खानउ भुनी धुलो पिसाइ गैछ
गीतमा गाली दियो भुनी बुडिया रिसाइरैछ
माल बस्सु झानौ भुन्छी चढि बरे किया
झान्या बेला तै राणले इसा गीत दिया
तेरा घर उन्या नाइ हु छोडपत्र गरीझे
मेरी इज्याखाइ राण भुन्न्या मुर्कट्या मरिझे
मुइलाई माग्गु तुइ मुर्कट्या मेरा घर गैथे
तेर मुइनाइ झनिउ भुन्ज्या रुन्या जसो भैथे
ऐले गाली दिनु पसे आघा भाति खान्थे
तेरी सोराइ लागी भुनी मेराइ पछा झान्थे
कसा गीत दिइथे आघा डम्मरु जाणलो
तोइ जसा मुर्कट्यालाई को निको माणलो
मुइलाई छाडी जन्झाइ भुनी धुरु-धुरु रुन्थे
मुइलाई गट्टी बनुनाकी गाली दियो भुन्थे
मुइत गट्टी राणु भयो निकी आब पालइ
मुइत आब माल गयो जन आसे मालइ
– सौगात एफ एम १०३.६ मेघाहर्ज, बैतडीबाट प्रसारित कार्यक्रम कोसेलोमा प्रसारित गीतहरू