मैथिली कविता : मधेशी

~विनीत ठाकुर~Binit Thakur

गाम–नगर में सोरसराबा सुनल गेल बड़ बेसी
लोकतन्त्र में अपन अधिकार लऽकऽ रहत मधेशी
जनसंख्या सँ जनसागर में जोरल छलांै हम सीधा
खाकऽ हमहुं लाठी गोली पारकेलौं सबटा बाधा

बटवृक्षक अंकुर बनि जनमल कतेको आशा
लतरल चतरल मधेस मे हेतै नै कतौ निराशा
जाइत पाइत में नै ओझराकऽ चुनब असली नेता
विकास में लिखत नव ईतिहास मधेसक बेटा

हिसाब सीधा सबकिछु में छी आधा के अधिकारी
कानून मे जँ ई नै लिखत तँ होयत समस्या भारी
मधेसक नेता चिन्हु समस्या करु नै अपना में टन्टा
छी जागल अधिकारक लेल सब मधेसी जनता

मिथिलाक्षर ( तिरहुता लिपि ) मे सेहो :

 

 

 

विनीत ठाकुर
मिथिलेश्वर मौवाही–६, धनुषा

(स्रोत : संघियअनलाईन डट कम)

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