नदी–नाला मे चलैय पानि अगम–अथाह
वर्षा सँ भेल जनता केँ जिनगी तवाह
ढहल पहाड़ कतेको गाम–घर डूबल
सरकार केँ एकर कोनो नहि परवाह ।।
मिथिलाक्षर ( तिरहुता लिपि ) मे सेहो :
विनीत ठाकुर
मिथिलेश्वर मौवाही–६, धनुषा
(स्रोत : रचनाकार स्वयंले ‘Kritisangraha@gmail.com‘ ईमेलमा पठाईएको । )