अहाँ छी जीनगीक चान हमर
अहीँ पर सदिखन ध्यान हमर
ई मधुर मिलनकेँ मधुर पलमे
किछु बात करु प्रिय प्राण हमर ।।
मिथिलाक्षर ( तिरहुता लिपि ) मे सेहो :
विनीत ठाकुर
मिथिलेश्वर मौवाही–६, धनुषा
(स्रोत : रचनाकार स्वयंले ‘Kritisangraha@gmail.com‘ ईमेलमा पठाईएको । )