~अजय पाण्डे~
अजमाइहैं सब आपन आपन हथकण्ड ,अपकी चुनाव मे
चली फिरसे लाठी और डंडा , अपकी चुनाव मे
केहू खरिदी वोट तो केहू देखाई धौस ,
जाने केतना पुजैहैं पंडित और पंडा,अपकी चुनाव मे
जेव रही खाली लेकिन लडैक है चुनाव,
लुटिहैं फिरसे नाम लैकै चन्दा, अपकी चुनाव मे
केहू लगवैहैं नाच तो केहू अर्केस्ट्रा ,
करिहैं कुछ भी गडै खतिर झन्डा, अपकी चुनाव मे
केहू कहिँ बनवाईब कुला केहू नहर ,
चुनाव कै बाद सब परिजैहैं सब ठण्डा , अपकी चुनाव मे
azzaypandey@gmail.com
(स्रोत : रचनाकारको फेसबुकबाट सभार)