दहेज सँ खरिदल दुलहा पर भाग कि निक
निशारात्रि मे अनोना दुलारक राग कि निक
अखनो ई ओ नै भेटल से सुनी रोज उलहन
एहन उलझन मे जोरल जिनगीक ताग कि निक ?
मिथिलाक्षर ( तिरहुता लिपि ) मे सेहो :
विनीत ठाकुर
मिथिलेश्वर मौवाही–६, धनुषा
(स्रोत : रचनाकार स्वयंले ‘Kritisangraha@gmail.com‘ ईमेलमा पठाईएको । )