~अजय पाण्डे~
सबकेहू लक्ष्मी माई कै अगुवानी मे लगा है |
हर गवाँ चौराहा पे माई कै मुर्ति खुब सजा है |
होइ सबकुछ मंगल अव सुख कय होइंहै बौछार
सब कै हृदय मे इहय अभिलास आव विश्वास भरा है ।
हमरी कुरियामा कै ज्योति चलगई उंची महलनमा
कैसै कहीं हम्मै तो खेते कै चिन्ता बहुत पडा है
सुखा पडीगय खेतन मा खलिहान फिरसे उजाड
बादर दिहिस धोखा सरकार तो पहिलाहिन से चण्ड बनिकै खडा है
भभकि-भभकि के बरत लडिकन बच्चन कै जीवन
नाकौनो भविष्य नाकेहू अगे – पिछे खडा है |
नई मालुम कब दिन बहुरी कब कुरिया मा अजोर होइ
सुनेहन सबकै संघरी उपारवाला खडा है
साल भर मेहनत किहन पसिना से सिचेन खेत
खोलिकै देखेन डेहरी तो एकव मानी न चाउर पाडा है
कैसै लारिकन कै सम्झाई नवा कपडा खातिर
बड्का बेट्वा मोबाइल कै जिद लैकै पडा है
न लाईन न तेल है कैसै करी अजोर
कैसै धिकै भादेलीय मे छेद पडा है
आपन ८४ व्यंजन पिछ्वारे बैठावा है वोल
वोक खाए खातिर मन मे लालसा बाढा है
azzaypandey@gmail.com
(स्रोत : रचनाकारको फेसबुकबाट सभार)