आखिए आखिए मे केहन बात केलक ओ॥
अपन जिनगी सँ क्षणमे कात केलक ओ॥
बिन छपरी केर हमर नेहक निवास॥
बुने बन सँ जहरक बर्षात केलक ओ॥
कारि खिट खिट अन्हार पसरलै एहन॥
जबरजस्ती जीवन प्रात केलक ओ॥
एक त पहिल बेर मजरल प्रिये पुष्प॥
नोइच मोचारि अपने सँ पात केलक ओ॥
ठमकैत रहै हिआ मे गजुरक पुकार॥
चोटे हरकम्प केर सुरुवात केलक ओ ॥
वर्ण-१५
गजेन्द्र गजुर(राय)
हनुमाननगर-२, सप्तरी
हाल-रेडियो सौगात ८८.१ मेगाहर्ज
रेडियोकर्मि ,लहान
(स्रोत : रचनाकार स्वयंले ‘Kritisangraha@gmail.com‘ मा पठाईएको । )