बेर बेर सवाल हमर याह रहैछै
सत्य बात किए लगैत बेजाह रहैछै
अपना टाग्ङ तर दाबल रहलो पर
कछेर प पुहुचेने किए नाह रहैछै
केतेको बेर डुबकि लगा चुकलि मुदा
प्रेमक सागर किए गरथाह रहैछै
नजर गुजैरि क ऽत बात नै पुछु मित
दिन देखारे प्रेमराह चोटाह रहैछै
आहा त दूर गगण मे परी बनल छि
अहिक चाह मे गजुर बताह रहैछ
वर्ण-१५
गजेन्द्र गजुर(राय)
हनुमाननगर-२, सप्तरी
हाल -लहान
प्राविधिक शिक्षालय
(स्रोत : रचनाकार स्वयंले ‘Kritisangraha@gmail.com‘ मा पठाईएको । )