सन्दर्भ : वर्तमान
१) देश
खीरा
जे ऊपर सँ सौँस होइछै
आ भीतर सँ
फाँकफाँक ।
२) राजनीति
गाछ
जे दिन मे ऑक्सीजन फेकैत अइछ
आ राइत मे कार्बन डाइआक्साइड ।
३) नेता
साँपक कण्डमे लसकल छुछुन्नैर
जकरा घोंटू तेँ पेट फाटक डर
उगलू तँ आन्हर हेबाक डर ।
४) जनता
जुआरी के टेबुल पर छिड़ियाएल रुपैया
जे कखनो एक गोटेक जेबी मे
तँ कखनो फेर टेबुल पर
आ कखनो दोसर जेबी मे पहुँच जाइत अइछ ।
५) प्रजातन्त्र
रामलीलाक मञ्च
जतए राम गजरैत अइछ,
रावण सेहो गजरैत अइछ
आ अन्हार मे बैसल दर्शक
टुकुर टुकुर तकैत अइछ ।
(स्रोत : Esamata)