ईन्टरनेट, ईमेल कम्प्यूटर के दुनिया ।
च्याटीङ्ग पर भेटल हमर ललमुनिया ।।
नाम ओकर भाई जेहने छै अलका ।
तेहने ललितगर केश ओकर ललका ।।
च्याटीङ्गसँ शुरुभेल नीक प्रेम कहानी ।
वेभलेन्सक सामने लागे रुपक रानी ।।
हलका लिपिष्टिक गोल गोल मुखड़ा ।
लागे ओ जेना हँसैत चानक टुकड़ा ।।
हाई हेलौ ओकरासँ होईत छी नित दिन ।
किबोर्ड सँ बजबैत छी हम प्रेमक बीन ।।
आब चाहे घरमे होई कतबो धमाका ।
चलबै संगे संग चाहे लगै केहनो नाका ।।
विनीत ठाकुर
मिथिलेश्वर मौवाही–६, धनुषा
(स्रोत : रचनाकार स्वयंले ‘Kritisangraha@gmail.com‘ मा पठाईएको । )