जे करथि घोटाला छथि अखन बोलबाला
चलत कोना ई दुनिया कह रे उपरबाला
गाम–नगर में बैइमान वनमे घुमै सैतान
मानब भऽ दानब वनि करै सज्जनक अपमान
आब सज्जनक बस्ती सब बनिगेल बधशाला
मदपन मे जकरल बनल लोक अभिमानी
शोणित भेल सस्ता महगा भेल पानी
कहिया ओ छोरत मानब मदपनक प्याला
बनि शान्तिदूत कोम्हरो सं आ रे कबूतर
परसैत तूं शान्ति बसिजो बस्तीक भीतर
बनादे एहि दुनिया के शान्तिक पाठशाला
विनीत ठाकुर
मिथिलेश्वर मौवाही–६, धनुषा
(स्रोत : रचनाकार स्वयंले ‘Kritisangraha@gmail.com‘ मा पठाईएको । )