सिहकैत कनकन्नीमे सीटर छी, जर्सी छी
मखा-मखा प्रेम करी, मोनक प्रेमर्षि छी
चानक धियानमे धरती नहि छूटए, तेँ
डिहबारक भगता हम दूरक ने दर्शी छी
थाहैत आ समधानैत काँटोपर जे बढ़ैछ
फाटल बेमाएवला चरणक स्पर्शी छी
हम्मर वैदेहीक कुचर्च कएनिहार लेल
अँखिफोड़बा टकुआ छी, जिहघिच्चा सड़सी छी
गन्ध जँ लगैए तँ मूनि लिअ नाक अहाँ
तिरहितिया खेतक हम गोबर छी, कर्सी छी
जिनगीक कखहरबामे साँसक जे मात्रा अछि
दहिना दिर्घी नहि, बामाक हर्षि छी
12-17-2009
(स्रोत : नेपाली गजल गुगल ग्रुप )