गाम–नगर में सोरसराबा सुनल गेल बड़ बेसी ।
लोकतन्त्र में अपन अधिकार लऽकऽ रहत मधेशी ।।
जनसंख्या सँ जनसागर में जोरल छलौं हम सीधा ।
खाकऽ हमहुं लाठी गोली पारकेलौं सबटा बाधा ।।
बटवृक्षक अंकुर बनि जनमल कतेको आशा ।
लतरल चतरल मधेस मे हेतै नै कतौ निराशा ।।
जाइत पाइत में नै ओझराकऽ चुनब असली नेता ।
विकास में लिखत नव ईतिहास मधेसक बेटा ।।
हिसाब सीधा सबकिछु में छी आधा के अधिकारी ।
कानून मे जँ ई नै लिखत तँ होयत समस्या भारी ।।
मधेसक नेता चिन्हु समस्या करु नै अपना में टन्टा ।
छी जागल अधिकारक लेल सब मधेसी जनता ।।
विनीत ठाकुर
मिथिलेश्वर मौवाही–६, धनुषा
(स्रोत : रचनाकार स्वयंले ‘Kritisangraha@gmail.com‘ मा पठाईएको । )