ननकिरबो मरए ,बुढबो मरए लइल अधिकार।।
सहिदक आत्मा जरए,टसँमसाइ नहि जाली
सरकार।।
लहुमाला छिरियाल माएँ के आचरमे
बोदम बोद नोर कऽ डिढीर फारल पाथरमे
मिटौने नइ मिटत माँए मधेशक ललकार ।।
उठौना कऽ गोली छातीए परे नित-दिने।
अपनौती अधिकार ल लडे परे-भिने।
के सुनतै हो माएँ मधेश कऽ पुकार ।।
निदं कोना आबिय जे बनासुतै सहिद क
तकिया ।
शासक जत सहिद दबाके लय कोरोटिया ।।
जनता जनार्धन करत समस्याके निबार ।।
-गीतकार
गजेन्द्र गजुर
हनुमाननगर
सप्तरी,मधेश
नेपाल
(स्रोत : संग्रहालयकै एक कविताको टिप्पणीमा प्रेषित गरिएको । )